जम्मू कश्मीर की राजनीति इन दिनों बड़े ही दिलचस्प मोड़ पर हैं। 2014 के चुनावो में पूर्ण रूप से किसी के पास बहुमत ना होने के कारण भाजपा ने मौके का फायदा उठाते हुए पीडीपी के साथ मिल कर गठबंधति सरकार बनाई जिसमें मुफ्ती सईद मुख्यमंत्री बने और भाजपा की तरफ से निर्मल सिंह ने उप मुख्यमंत्री की भूमिका निभाई।
परन्तु पिछले साल यह गठबंधन टूट गया और तब से जम्मू कश्मीर में राज्यपाल का शासन हैं। गठबंधन टूटने की मुख्य वजह आपसी मतभेद और घाटी में बढ़ता आतंकवाद था। दोनों पार्टियों की तरफ से आरोप प्रत्यारोप का लम्बा दौर चला।
बीते कुछ समय में घाटी की राजनीति में उथल पुथल देखने को मिली हैं। भाजपा ने सरकार बनाने के संकेत दे दिए है। इसकी शुरुआत तब होती हैं जब भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं जम्मू और कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह बुधवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से अपने दफ्तर में मिलते हैं।
जैसा की हमें ज्ञात हैं, जम्मू कश्मीर में किसी भी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं थी। परन्तु भाजपा ने संकेत दिए हैं की उसके पास पीडीपी के कुछ बागी विधायकों का समर्थन है और आने वाले वक्त में कुछ विधायक कांग्रेस से एवं अन्य पार्टियों से भी समर्थन दे सकते है।
बहरहाल जिस तरीके से भाजपा का घाटी में प्रभाव बड़ा है उससे यही कियास लगाए जा रहे है की भाजपा जोड़ तोड़ की राजनीति कर एक बार फिर से जम्मू कश्मीर में एक हिन्दू मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ सरकार बना लेगी। अब देखना यह होगा की वो चेहरा कौन होगा।
अटकले तो निर्मल सिंह के नाम पर मोहर लगा रही हैं पर अभी कुछ पक्के तौर पर नहीं कह सकते। अभी थोड़े दिनों पहले ही राजनाथ सिंह समेत भाजपा के कई बड़े नेताओ ने जम्मू कश्मीर का दौरा किया और हालत का जायज़ा लिया।