चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने कहा कि “जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन भारत का अंदरूनी मामला है और इससे चीन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा, इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव शून्य है। चीन ने कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने पर पर गहरी चिंता व्यक्त की थी।
भारतीय राजदूत ने कहा कि “कश्मीर पर चीन की प्रतिक्रिया के बावजूद नई दिल्ली और बीजिंग के संबंधो में वृद्धि हो रही है। हमने नहीं देखा है कि जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन हुआ और कैसे संविधान के भागो में परिवर्तन किया गया, जिसका प्रभाव चीन पर पड़ा हो। हमें वाकई समझना है है कि यह कैसे हो सकता हिया क्योंकि यह पूरी तरह आंतरिक मामला है। इस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असर शून्य है।”
उन्होंने कहा कि “नक़्शे की लाइन पर पुनर्गठन का कोई प्रभाव नहीं है। बिल्कुल, इसमें से कई रेखाओं पर भारत और चीन के बीच बातचीत की जा रही है लेकिन वह चर्चा है जो जारी रहेंगी और इसका चर्चा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस माह के शुरू में भारत ने जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने का ऐलान किया था।
अधिकतर देशो ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला करार दिया है और चीन व पाक ने इसका विरोध किया है। इस्लामाबाद ने आरोप लगाया कि कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने का मकसद न सिर्फ क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पंहुचाना है बल्कि वैश्विक शान्ति को भी खराब करना है।
भारत के इस निर्णय के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने भी चीन की यात्रा की थी और चीनी समकक्षी वांग यी को स्पष्ट किया था कि यह भारत का आंतरिक मामला है और इससे भारत की बाहरी सीमाओं या लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल में कोई परिवर्तन नहीं होंगे।
शुक्रवार को यूएनएससी ने कश्मीर मामले पर गुप्त बैठक का आयोजन किया था। पाकिस्तान की तरफ से चीन ने इस बैठक को बुलाने की मांग की थी। चीन और पाकिस्तान यूएनएससी की गुप्त बैठक में बुरी तरह नाकाम हुए हैं। परिषद के अधिकतर सदस्यों ने कश्मीर पर पाकिस्तान के रवैये को खारिज किया है।