भारत में विपक्षी दल के लिए एक और शर्मनाक पल सामने आया जब पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने भारत में विपक्षी पार्टी कांग्रेस के हवाले से नई दिल्ली पर निशाना साधा है।
यूएन के सम्मेलन के इतर इमरान खान ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “शुरुआत के लिए उन्होंने राज्य में कर्फ्यू लगा दिया, यह शुरुआत है। भारत में कांग्रेस पार्टी ने भी बयान दिया है कि गरीब जनता को 50 दिनों से अन्दर बंद करके रखा हुआ है। कोई नहीं जानता की राजनीतिक कैदियों के साथ कैसा सुलूक किया जा रहा है।”
विपक्षी दलों के बयानों को हथियार बना रहा पाक
यह पहले बार नहीं है जब कांग्रेस के बयानों का इस्तेमाल पाकिस्तान ने कश्मीर मामले पर अपना हथियार बनाया है। इस महीने की शुरुआत में जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान के लीक हुए डोजियर के शुरूआती पन्नो में कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी और नेशनल कांफ्रेंस के नेता ओमार अब्दुलाह के बयानों का जिक्र किया गया था।
गाँधी के हवाले कहा गया है कि “जम्मू कश्मीर की जनता की आज़ादी और नागरिक अधिकारों को उनसे छीने हुए 20 दिनों का समय बीत चुका है। भयावह प्रशासन ने विपक्षी नेताओं और प्रेस को राज्य से दूर रखा है और श्रीनगर जाने का प्रेस करने वाले जम्मू कश्मीर के नागरिको का बर्बर सेना सफाया कर रही है।”
पाकिस्तान के मानव अधिकार शिरीन मजारी ने बीते महीने कश्मीर मामले पर यूएन को लिखे पत्र में दावा किया कि गाँधी ने बताया था कि जम्मू कश्मीर में जनता मर रही है। भारतीय जनता पार्टी का आलाकमान इसे अंजाम दे रहा है। बीजीपी ने कांग्रेस पर पाकिस्तान की तरफदारी करने का आरोप लगाया था।
इसके बाद गाँधी ने अपनी स्थिति को स्पष्ट किया था और पाकिस्तान पर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद फ़ैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि “जम्मू कश्मीर से सम्बंधित मामले भारत के आंतरिक है और इस्लामाबाद की दखलंदाज़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
5 अगस्त को भारत ने जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया था और इसके बाद दोनों देशो के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। अमेरिका ने इस मामले पर मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया था लेकिन भरा ने इसे ठुकरा दिया और कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की दखलंदाज़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।