अमेरिका ने गुरूवार को दोहराया कि कश्मीर पर उनकी नीति में कोई बदलाव नहीं होगा और वह भारत और पाकिस्तान के बीच मुद्दों के समाधान के लिए करीबी से कार्य कर रहे हैं। अमेरिका के मुताबिक कश्मीर मसले का समाधान भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय तरीके से हल होना चाहिए और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं होनी चाहिए।
राज्य विभाग के प्रवक्ता मॉर्गन ओर्टागुस ने कहा कि “हमने आसियान में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर के साथ मुलाकात की थी और मैं जानता हूँ कि उनके पास कई फ़ोन कॉल आई थी। वह रोजाना अपने समकक्षियों के साथ फ़ोन पर बातचीत करते हैं।”
उन्होंने कहा कि “हमारी भारत और पाकिस्तान के साथ कई बार बातचीत हुई है। हाल ही में प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका की यात्रा पर थे। इस दौरान न सिर्फ कश्मीर मसले पर बल्कि कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई थी और इसको हम करीबी से देख रहे हैं। हमने उन मामलो को उठाया था जिन पर हम भारत और पाकिस्तान के साथ करीबी से कार्य कर रहे हैं। राज्य विभाग होने के नाते हम दक्षिण पूर्व एशिया के साथ जुड़े हुए हैं।”
भारत और पाकिस्तान के समकक्षियो के साथ अनुच्छेद 370 को हटाने के निर्णय पर राज्य सचिव माइक पोम्पियो के पंहुचने के सवाल का जवाब प्रवक्ता ने दिया था। कश्मीर पर नीति में परिवर्तन पर उन्होंने कहा कि “नहीं, हमारी नीति में कोई परिवर्तन नहीं है।”
2 अगस्त को जयशंकर ने माइक पोम्पियों के साथ आसियान सम्मेलन के इतर मुलाकात की थी और कश्मीर मसले पर वार्ता सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच ही होगी। भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
इमरान खान ने बीते महीने अमेरिका की यात्रा की थी और ट्रम्प ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में मध्यस्थता करने का उनसे आग्रह किया था।