चार कांग्रेस विधायक, पार्टी द्वारा शुक्रवार को होने वाली सीपीएल बैठक से गायब दिखे। और ये सब इस विवाद के मध्य हुआ जिसमे भाजपा के ऊपर उनके विधायकों को लुभाने का इलज़ाम लगाया गया और कहा कि वे कर्नाटक में कुमारस्वामी के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस-जेडीएस सरकार को गिरना चाहती है।
बाग़ी रमेश जर्कीहोली, बी नागेंद्र, उमेश जाधव और महेश कुमाथाहल्ली बैठक के लिए पहुंचे ही नहीं।
जबकि नागेंद्र ने बैठक में ना आने का कारण-कोर्ट में उनकी होने वाली सुनवाई को बताया, वही दूसरी तरफ, उमेश जाधव ने कहा कि वे बीमार हैं और इसलिए उपस्थित नहीं हो पाए।
नागेंद्र ने कहा-“मैं शहर आया हूँ अपनी कोर्ट की सुनवाई के लिए। ऐसा कोई अभियान (कांग्रेस विधायक को शिकार बनाने का) नहीं है। मैं मुंबई व्यक्तिगत कारणों की वजह से गया था क्योंकि मेरा वहां व्यापार है। मैं अक्सर वहां जाता रहता हूँ।”
रिपोर्ट के अनुसार, ये बागी विधायक मुंबई होटल में, भाजपा के संपर्क में रह रहे थे।
इनके विधायकों के अलावा, बी नारायण राव हैदराबाद से आ रहे हैं मगर उन्होंने कहा कि उनकी फ्लाइट में देरी हो गयी थी। मंत्री पुत्तरंगा शेट्टी भी रास्ते में हैं।
इस बैठक में, डिप्टी सीएम जी परमेश्वर ने कहा कि एजेंडा तो अभी तक तय नहीं हुआ है मगर दो-तीन मुद्दे जैसे आगामी लोक सभा चुनावों की तैयारी और राज्य में राजनीतिक विकास पर चर्चा होगी।
कर्नाटक के भाजपा प्रमुख बी एस येड्डीरुप्पा ने शुक्रवार को कहा कि सबसे पुरानी पार्टी की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे अपने साथियों को साथ रखे और उनकी पार्टी का सत्तारूढ़ गठबंधन में चल रही उलझन से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि ये इलज़ाम कि भाजपा, कांग्रेस के विधायकों का शिकार कर रही, वे सच्चाई से कोसों दूर है।
उनके मुताबिक, “ये सच्चाई से कोसों दूर है कि हम कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में उलझन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। हम 104 विधायक साथ हैं और एक हैं। हमारा केवल कर्नाटक में 20 लोक सभा सीटें जीतने का इरादा है और हम इसकी तैयारी कर रहे हैं।”
कर्नाटक में कांग्रेस नेता दिनेश गुंडु राव ने कहा-“हमें विश्वास है कि हर कोई आएगा। हमें अपनी संख्या पर भरोसा है। हमें इस सरकार की स्थिरता पर भरोसा है। भाजपा इस सरकार को गिराने की जी-जान से कोशिश कर रही है।”
असंतुष्टों को चेतावनी देते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया कि दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्यवाही उन लोगों के खिलाफ शुरू की जाएगी जो सांसदों की बैठक में आने से विफल हो जाते हैं।
कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस-जेडीएस के 118 सदस्य हैं, 113 के बहुमत से 5 ज्यादा। कुछ दिनों पहले, दो निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया था।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा-“शुरू से ये स्पष्ट था कि लगभग ऐसे पांच लोग होंगे जो दल बदलने की सोच सकते हैं। पार्टी के पक्ष में ये हुआ कि असंतुष्टों को ज्यादा समर्थन नहीं मिल सका।”
उन्होंने आगे कहा-“दिक्कत ये है कि कोई भी विधायक इस वक़्त इस्तीफा देने की और उपचुनाव के लिए फिर जनता का सामना करने की हालत में नहीं है। इसलिए हमने उन्हें इस मामले में घसीटा और बैठक में भाग लेने के लिए एक नोटिस जारी किया।”