कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के अपने मंत्रिमंडल के विस्तार करने के बाद एक बार फिर कांग्रेस-एडीएस गठबंधन सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक रमेश जारकीहोली मंत्रिमंडल से हटाये जाने के बाद अन्य विधायकों के साथ पार्टी छोड़ने की धमकी दी है।
मीडिया को संबोधित करते हुए, एक रमेश ने कहा, “मैंने बताया था कि मैं अपनी सीट से इस्तीफा दे दूंगा और अपनी बात रखूंगा। लेकिन मीडिया मुझे एक खलनायक के रूप में और दूसरों को नायक के रूप में चित्रित कर रहा है। बस मुझे चार दिन दीजिए और मैं साबित कर दूंगा कि असली हीरो कौन है।”
जब से कांग्रेस और जेडी (एस) ने राज्य में गठबंधन सरकार बनाई है, रमेश पार्टी में सहयोगियों के व्यवहार से नाखुश हैं।रमेश के करीबी सहयोगियों में से एक ने कहा, “वह भाजपा में शामिल हो या नहीं, लेकिन वे निश्चित रूप से कांग्रेस में नहीं रहेंगे।” एक अन्य सहयोगी ने कहा कि मंत्रालय गंवाने के बाद उनका इगो आहात हुआ है और वह इसे अपने प्रतिद्वंद्वी शिवकुमार की जीत मानते हैं।
इससे पहले, नाराज रमेश ने कहा था, “अगर शिवकुमार बेलगाम की राजनीति में प्रवेश करते हैं तो मुझे बर्दाश्त नहीं होगा” जिसके बाद दोनों के बीच दरार बढ़ गई।
रमेश जारकीहोली मुंबई-कर्नाटक क्षेत्र में एक मजबूत नेता हैं और उनके पास लगभग पांच विधायकों का समर्थन है। सूत्रों के मुताबिक, जब से उन्होंने अपना मंत्री पद गंवाया है तब से वह उन विधायकों के लगातार संपर्क में हैं। रमेश कभी-कभार भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के साथ भी देखे जाते थे।
कांग्रेस आलाकमान ने रमेश की जगह अपने बड़े भाई सतीश जारकीहोली को मंत्रिमंडल में लिया है। पार्टी ने सतीश को विद्रोहियों पर नियंत्रण रखने की भी जिम्म्र्दारी दी है।
सूत्रों के अनुसार, पांच बागी विधायक रमेश का समर्थन कर रहे हैं। पांच विधायकों में कुडलिगी के विधायक नागेंद्र, कागवाड़ा के विधायक श्रीमानथ पाटिल, हागी बोम्मनहल्ली के विधायक भीमा नाइक, मास्की के विधायक प्रताप गौड़ा पाटिल और अठानी के विधायक महेश कुमटल्ली शामिल हैं।