Sat. Nov 23rd, 2024
    बीजेपी

    कर्नाटक उपचुनाव परिणाम में जोर का झटका खाने के बाद भाजपा नेताओं ने जोर देकर कहा कि इस चुनाव परिणाम का 2019 पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। भाजपा नेताओं के अनुसार ये महज एक उपचुनाव था जिसका राज्य या फिर केंद्र सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना था इसलिए इस चुनाव को लेकर जनता में कोई उत्साह नहीं था।

    जबकि कुछ भाजपा नेताओं ने जमीनी स्तर पर पार्टी की लोकप्रियता का अध्ययन करते हुए कहा कि ‘उपचुनाव परिणाम हमारे लिए एक चेतावनी है। अगर हमने इस चेतावनी को हलके में लिया तो 2019 में हमें अपने आधार वाले इस एकमात्र दक्षिण भारतीय राज्य से ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।’

    दिल्ली में भाजपा के सूत्रों ने बताया कि ‘हमें उम्मीद थी कि कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन जमीनी स्तर पर सफल नहीं हो पायेगा, क्योंकि यह एक मजबूरी में बना गठबंधन था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हमारे सारे कैलक्युलेशन धरे के धरे रह गए। हम जमीनी हकीकत को समझने में नाकाम रहे और हम वोटर के मन में अपने लिए कोई जगह नहीं बना पाए जिसका हमें खामियाजा भुगतना पड़ा।’

    कर्नाटक उपचुनावों में जिस एकमात्र सीट शिमोगा पर भाजपा ने जीत दर्ज की उसपर जीत का अंतर भी भाजपा के लिए चिंताजनक है।  2014 में इस सीट से येदुरप्पा ने 3.63 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी लेकिन उनके पुत्र बी वाई राघवेंद्र को सिर्फ 52148 वोटों से ही जीत मिली। ये कर्नाटक में भाजपा के कद्दावर नेता येदुरप्पा के कमजोर होते पकड़ को दिखाता है। 2004 से भाजपा का गढ़ रहे बेल्लारी सीट पर कांग्रेस के उगरप्पा ने करीब 3 लाख के आसपास वोटों से भाजपा प्रत्याशी को हराया जबकि 2014 में भाजपा के श्रीरामुलु को सिर्फ 95,000 वोटों से जीत मिली थी।

    उपचुनाव के इन नतीजों का असर दूर तक जाएगा। इस नतीजों ने विपक्ष को ये समझा दिया है कि एकता में शक्ति है।  अगर 2019 में मोदी को हराना है तो एक होना ही पड़ेगा। एकजुट विपक्ष ने उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में भी भाजपा को कैराना और गोरखपुर जैसे गढ़ में पटखनी दी थी।

    भाजपा भले ही कहे कि विपक्षी गठबंधन की कोई विस्वश्नीयता नहीं है लेकिन सच तो ये है कि इस हकीकत से मुंह मोड़ना भाजपा के लिए एक आत्मघाती कदम होगा। इन उपचुनाव नतीजों ने भाजपा और विपक्ष दोनों के लिए सन्देश दिया है।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *