पाकिस्तान के कराची शहर में स्थित चीनी दूतावास पर 23 नवम्बर को तीन बंदूकधारियों ने हमला कर दिया था।
एक घंटे तक चले इस संघर्ष में सिद्ध प्रांत की पुलिस ने काबू पाकर तीनों हमलावरों को मार गिराया था लेकिन इसमें दो पुलिसकर्मियों को भी शहादत का दुःख झेलना पड़ा था। चीनी दूतावास में स्थित सभी 11 अधिकारियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था।
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान और चीन के मध्य व्यापार समझौते के खिलाफ यह एक विफल हमला था। इस आतंकी हमले से चीनी निवेशक और सीपीईसी परियोजना भी संकट के घेरे में आ गई है। उन्होंने कहा कि हमलावर कभी अपने मकसद में कामयाब नहीं होंगे। पाकिस्तान के पीएम खान हाल ही में आर्थिक मदद के लिए चीनी दौरे पर गए थे।
पाकिस्तान में हुए हमले में किसी इस्लामिक संगठन का हाथ नहीं था। इस हमले में कथित बलूच लिबरेशन आर्मी का हाथ था जो पाकिस्तान से अलगाव की भावना रखते हैं और पाकिस्तान से स्वतंत्र एक बलूचिस्तान देश के स्थायित्व की भावना रखते हैं।
बलूच नागरिकों के मुताबिक पाकिस्तान और खासकर उनके इलाके में स्थित चीनी से उनके प्रांत को खतरा है और वे ईरान और अफगानिस्तान की पूर्वी सीमा पर चीनी परियोजना का विरोध कर रहे हैं।
बलूच को पाकिस्तान के सबसे गरीब जनता में गिना जाता है और वे पाकिस्तान की जनसंख्या के 14 प्रतिशत हैं जो पाकिस्तान के 40 फीसदी हिस्से में रहती है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में दशकों से विद्रोह पनप रहा है, उनके आरोपों के मुताबिक पाकिस्तान की केंद्रीय सरकार और धनी पंजाब प्रांत उनके संसाधनों का दुरूपयोग करते हैं।
साल 2005 में पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के विद्रोह को कुचलने के लिए एक सैन्य अभियान चलाया था नतीजतन इसमें बलूचिस्तान के सम्मानित नेता नवाब अकबर बुक्ती की मौत हो गयी थी। इस अभियान ने बलूच नागरिकों के मन में पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह की भावना को और भड़का दिया था।
चीनी के निवेश वाली चीन-पाक आरती गलियेरा परियोजना बलूचिस्तान से होकर गुजरेगी। इस परियोजना का मकसद पाकिस्तान और मध्य एवं दक्षिण एशिया में चीनी प्रभुत्व में विस्तार करना है ताकि अमेरिका और भारत की प्रभाविकता को कम किया जा सके। यह परियोजना चीन के शिनजियांग प्रांत से पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित ग्वादर बंदरगाह को जोड़ेगी।
इस परियोजना की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान ने 15000 सेना विद्रोहियों के हमले और अन्य गतिब्विधियों से बाचाव के लिए तैनात कर रखी है। पाकिस्तान पर एक आर्थिक हमला भी जारी है। पाकिस्तान ने आर्थिक सहायता के लिए सऊदी अरब और चीन के समक्ष गुहार लगा चुके हैं, इसके अलावा मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मुहैया करेंगे।
फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स ने पाकिस्तान को आतंकी गतिविधियों पर रूक लगाकर, उन्हें मिलने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लगा दिया जाए। हालांकि मीडिया की ख़बरों के मुताबिक एफएटीएफ पाकिस्तान की कार्यों से संतुष्ट नहीं है। कराची में हुए आतंकी हमले के बाद बलूच विद्रोही अन्य आतंकी हमलों को अंजाम दे सकते हैं।