भारत ने पाकिस्तान को करतारपुर गलियारे की अंतिम ब्लूप्रिंट दिखाने के लिए आमंत्रित किया है। नई दिल्ली ने करतारपुर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को सिमी और उनके वहां बिताये घंटों को तय करेगा। पाकिस्तान में स्थित करतारपुर साहिब गुरुदासपुर सीमा से चार किलोमीटर की दूरी पर है।
भारत के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दा हिन्दू बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सबसे ज्यादा जरुरी है और हम पाकिस्तान से स्वायत्ता का आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की तरफ से सुरक्षा मज़बूत है, जबकि पाकिस्तान के इलाके में सुरक्षा चिंता का विषय हैं। साल 2014 में वाघा बॉर्डर के पास तालिबान के हमले में 50 लोग मारे गये थे।
उन्होंने कहा कि हमें पर्यटन की अनुमति वाले दस्तावेजों को भी अंतिम रूप देना है, जो पासपोर्ट और अनुमति प्रक्रिया होगी। हम पासपोर्ट पर मोहर यानी स्टाम्पिंग के पक्ष में हैं। इस परियोजना को पूर्ण करने की योजना गुरुनानक जी 550 वीं जन्म सालगिरह पर है, जो 23 नवम्बर 2019 को है।
गृह मंत्रालय ने कुछ दिनों पूर्व करतारपुर गलियारे से सम्बंधित एक बैठक का आयोजन किया था। कई मंत्रालयों की एक टीम ने पंजाब के निकट जीरो पॉइंट पर यात्रा की थी, जहांइस गलियारे का निर्माण होना है। सड़क यातायात और राज्यमार्ग मंत्रालय को इस गलियारे के निर्माण का जिम्मा सौंपा गया था। दोनों ओर, सीमा सुरक्षा बल के सैनिक 24*7 के तहत सुरक्षा मुहैया करेंगे।
सरकार श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया करने की योजना बना रही है, जहां श्रद्धालु खुद को पंजीकृत कर पाएंगे और यात्रा का समय और तारीख का चयन कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान विभागों द्वारा युवा सिखों को भड़काने के मुद्दे पर भी चर्चा की जाएगी। हमें अपने नागरिकों पर भरोसा करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास सभी यात्रियों की पासपोर्ट जानकारी होगी, अगर ऐसी कोई भी घटना होती है तो वापसी के दौरान नज़र राखी जाएगी।
अधिकारी ने कहा कि यदि कोई श्रद्धालु वापस नहीं लौटता तो वह सीधे तौर पर पासपोर्ट एक्ट का उल्लंघन होगा। उन्होंहे कहा कि धार्मिक स्थल पर कोई व्यक्ति क्या ले जा सकता है, इस पर दोनों देशों की सहमती अभी बाकी है। सिखों की किरपन जो एक शस्त्र है, क्या दोनों देश इसे अनुमति देंगे क्योंकि इसके साथ समुदाय की धार्मिक आस्था जुड़ी है।