भारत ने करतारपुर गलियारे पर वरिष्ठ अधिकारीयों की मुलाकात के आधिकारिक ऐलान कर दिया है। यह मुलाकात भारत की तरफ अट्टारी-वाघा बॉर्डर पर की जाएगी। भारत ने पुष्टि की कि भारत और पाकिस्तान की मुलाकात करतारपुर गलियारे के तौर-तरीकों पर चर्चा करने और उसे अंतिम रूप देने के लिए आयोजित होगी।
भारत-पाक तनाव
मंगलवार को इस्लामाबाद ने नई दिल्ली में स्थापित अपने दूतावास के उच्चायुक्त को वापस भेजने का ऐलान किया था और 14 मार्च को दोनों तरफ की बैठके भी होंगी।
I conveyed to India today that our HC would be returning to Delhi, our Delegation will visit Delhi on 14 March, return visit of Indian delegation would be on 28 March to discuss Kartarpur Corridor, & conveyed our commitment to continued weekly contact at MO Directorate level.
— Dr Mohammad Faisal (@DrMFaisal) March 5, 2019
दोनों मुल्कों पर पुलवामा आतंकी हमले और एयरस्ट्राइक के बाद भारत पाकिस्तान सम्बन्ध में तनाव के बावजूद भी करतारपुर गलियारे पर चर्चा कर रहे हैं।
सिख श्रद्धालुओं के लिए यह गुरुद्वारा बेहद पाक है क्योंकि सिख धर्म के संस्थापक ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष यही व्यतीत किये थे। भारत के लिए यह परियोजना पंजाबियों की भावनाओं से जुडी हुई है, पंजाब में सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस और विपक्षी पार्टी अकाली दल इसका फायदा उठाना चाहते हैं।
भारतीय प्रतिनिधि 28 मार्च को पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, हालाँकि इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी नहीं की है।
करतारपुर गलियारा
करतारपुर साहिब की नींव हाल ही में भारत और पाकिस्तान दोनों ने रखी है। इस गलियारे का प्रस्ताव भारत ने 20 साल पहले दिया था। करतारपुर साहिब पाकिस्तान में रावी नदी के किनारे बसा हुआ है और यह डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से महज चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इसकी स्थापना के संस्थापक गुरुनानक देव ने साल 1522 में की थी। साथ ही उन्होंने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष यही स्थल पर व्यतीत किये थे। करतारपुर गलियारे के माध्यम से भारत के श्रद्धालु पाकिस्तान के गुरूद्वारे की यात्रा बिना वीजा के कर पाएंगे। इसका निर्माण जल्द जायेगा।
भारत ने 24 नवंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने लाहौर से 124 किलोमीटर दूर नरोवाल में इस गलियारे की नींव रखी थी। करतारपुर पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में आता है और नरोवाल जिले में पड़ता है। भारत सरकार ने इस निर्णय को 22 नवम्बर 2018 को लिया था, क्योंकि यह प्रस्ताव लम्बे समय से अटका हुआ था। भारत सरकार ने आज पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ ही करतारपुर गलियारे का आंकड़े साझा किये हैं।