पाकिस्तान और भारत ने हाल ही में करतारपुर गलियारे के निर्माण की नींव राखी है ताकि सिख श्रद्धालु आसानी से पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारे के दर्शन कर सकें। हालांकि भारत और पाकिस्तान की राजनीतिक जमात इस पवित्र काज को सियासी चोला पहनाने में कोई कसार नहीं छोड़ रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने कहा कि भारत करतारपुर सीमा को खोलने को राजनीतिक रंग चढ़ा रहा है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
इमरान खान का भारतीय मीडिया और सियासी दलों पर निशाना
इमरान खान ने कहा कि भारत दुर्भाग्यवश, इस मुद्दे को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भी मैंने यह बात नवजोत सिंह सिद्धू के साथ साझा की थी।
उन्होंने कहा कि भारतीय मीडिया करतारपुर गलियारे को राजनीतिक रंग में ढाल रही है लेकिन हम इसका इस्तेमाल राजनीतिक मंसूबों के लिए नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सच नहीं है, हमने करतारपुर सीमा को इसलिए खोला क्योंकि वह पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ ले घोषणा पत्र में शामिल था।
पाकिस्तानी सरकार का गुणगान
पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री ने कहा कि मुझे ख़ुशी कि सरकार ने इस गलियारे को खोलने के लिए दबाव बनाया था। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान में कोई धार्मिक स्थल है तो उसे सुविधाजनक बनाने की जिम्मेदारी सरकार की है। उन्होंने कहा कि सरकार कुछ नया नहीं कर रही है, यह हमेर घोषणा पत्र का भाग था।
पाकिस्तानी नेता ने कहा कि सिख समुदाय ने इस प्रयास की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि सिखों को यह गुरुद्वारा, हमारे लिए मदीना जितना ही है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि भारत सकारात्मक रुख अख्तियार करेगा।
करतारपुर सीमा की नींव
पकिस्तान में स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा में सिखों के लिए वीजा मुक्त दर्शन के कारण करतारपुर गलियारे का निर्माण किया जा रहा है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने इसी पवित्र स्थल पर अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष व्यतीत किये थे।
पकिस्तान में करतारपुर गलियारे का शिलान्यास समारोह का आयोजन 28 नवम्बर को आयोजित किया गया था। इस समारोह में भारत के दो केंद्रीय सिख मंत्री हरसिमरत कौर बदल और हरदीप सिंह पुरी और पंजाब प्रांत के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू शरीक हुए थे।