करतारपुर गलियारे पर पाकिस्तान के निर्माण कार्य पर रवैये के कारण सिख समुदाय को देश में भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है और अपनी आस्था को सुरक्षित करने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस सप्ताह की शुरुआत में लाहौर के नानक साहिब इलाके के ग्रंथि की पुत्री का अपहरण कर लिया गया था और उसका जबरन धर्मांतरण कर, एक मुस्लिम युवक से निकाह पढवा दिया था।
भारत में भी इस मामले ने तूल पकड़ा था और कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने अपराधियों को सकहत सजा देने की मांग की थी। इस वारदात से समस्त विश्व में सिख समुदाय आग बबूला हो गया और भारतीय मंत्री हर्सिम्रत कौर बदल ने इसे शर्मनाक कृत्य करार दिया था।
यह वारदात तब सामने आई जब समस्त विश्व में सिख समुदाय गुरु नानक की 550 वीं सालगिरह के जश्न की तैयारियां कर रहे हैं। पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर सिख श्रद्धालुओं की सुरक्षा और रक्षा के बाबत आश्वस्त भी नहीं कर सकता है। इस्लामाबाद आतंकवादियों और अलगाववादियों को पनाह देने के लिए कुख्यात है।
पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री इमरान खान ने अपने मुल्क में अल्पसंख्यको की सुरक्षा का संकल्प लिया था। पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने ईसाई महिला आसिया बीबी को ईशनिंदा के मामले से रिहा कर दिया था और इसके विरोध में समस्त राष्ट्र में प्रदर्शन हुए थे।
अल्पसंख्यक समुदाय की शिकायत रही है कि इमरान खान के कार्यकाल में भी उनकी सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। पाकिस्तान ने दावा किया है कि वह सिख और अन्य अल्पसंख्यको को सुरक्षित माहौल मुहैया करेंगे। वे भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए खालिस्तान आन्दोलन का नेतृत्व कर रहा है।
पाकिस्तान के मानव अधिकार समूह ने अप्रैल में जबरन धर्मांतरण और हिन्दू व ईसाई महिलाओं का निकाह मुस्लिम युवको से करने पर चिंता जताई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा, बलात्कार, गैरत के लिए हत्या, घरेलू हिंसा और जबरन निकाह एक गंभीर समस्या है। प्रतिवर्ष 1000 गैरत के लिए हत्या के मामलो को दर्जा किया जाता है।