अमेरिका ने मंगलवार को सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर गलियारे के निर्माण का स्वागत किया था और कहा कि हम उन कदमो का समर्थन करेंगे, जो भारत और पाकिस्तान के बीच जनता से जनता के संपर्क को बढाने के लिए उठाया गया हो।
करतारपुर गलियारे का निर्माण
14 जुलाई को भारत और पाकिस्तान ने दूसरे चरण की द्विपक्षीय वार्ता की थी और इसमें गलियारे से सिख श्रद्धालुओं की यात्रा पर उपजे मतभेदों को कम किया था। दोनों पक्षों ने कहा कई “वे श्रद्धालुओं की सुगमता के लिए अधिकतर तौर तरीको पर सहमत है।”
गलियारे के निर्माण से सम्बंधित सवाल का जवाब देते हुए अमेरिका के राज्य विभाग के प्रवक्ता मॉर्गन ओर्टागुस ने कहा कि “यह निश्चित ही अच्छी खबर है और इसे प्रोत्साहित करेंगे। भारत और पाकिस्तान के बीच जनता से जनता के संपर्क को बढाने के लिए उठाये गए कदमो का हम निश्चित ही समर्थन करेंगे।”
गलियारे के खुलने के बाद यह करतारपुर में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा दरबार साहिब तक सिख श्रद्धालुओं को पंहुचने की अनुमति होगी। इस स्थल पर गुरु नानक देव ने साल 1539 अपनी आखिरी साँस ली थी। इस निर्माण कार्य का सितम्बर के अंत तक पूरे होने की सम्भावना है।
भारत ने आग्रह किया कि भारत से प्रतिदिन 5000 श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति देने को दोहराया था और न्यूनतम 10000 अतिरिक्त श्रद्धालुओं को विशेष अवसरों के दौरान यात्रा की अनुमति मुहैया करनी चाहिए। श्रद्धालुओं की आस्था पर किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं होना चाहिए न सिर्फ भारतीय नागरिकों के लिए बल्कि भारतीय मूल के नागरिकों के पास ओआइसी कार्ड का इस्तेमाल कर उन्हें करतारपुर गलियारे की सुविधा का इस्तेमाल करने की अनुमति मिलनी चाहिए।
इस गलियारे के निर्माण के लिए भारत 500 करोड़ रूपए खर्च कर रहा है। इस धन को उच्च स्तर की सुरक्षा और निगरानी प्रणाली की स्थापना करने के लिए खर्च किया जायेगा।