लाहौर, 16 जुलाई (आईएएनएस)| सिख समुदाय से संबद्ध सामाजिक कार्यकर्ताओं ने करतारपुर सीमा पर भारत द्वारा अपने क्षेत्र में ‘हवाई अड्डे’ जैसे निर्माणों पर चिंता जताई है। साथ ही उनका कहना है कि इलाके में बहुत ऊंचा भारतीय ध्वज लगाने से करतारपुर साहिब गुरुद्वारे पर लगने वाले निशान साहिब (सिख ध्वज) की अहमियत कम होगी।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान द्वारा बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने पर सहमति जताने पर भी चिंता जताते हुए कहा कि इससे सिख धरोहर स्थल और इसके आसपास के इलाकों की पारिस्थितिकी पर असर पड़ेगा।
करतारपुर में बाबा नानक युग के समय के सौ एकड़ के इलाके के संरक्षण के लिए विश्व सिख अभियान का नेतृत्व करने वाली गुरमीत कौर ने एक बयान में कहा, “पूरी दुनिया में सिख समुदाय इस आशय की रिपोर्ट से चिंतित है कि भारत द्वारा डेरा बाबा नानक में पांच अरब रुपये की लागत से हवाई अड्डे जैसा टर्मिनल बनाया जाना है। इसमें तीन सौ फीट ऊंचा भारतीय ध्वज भी शामिल है जो कि न तो इलाके के आध्यात्मिक तत्व का प्रतिनिधित्व करता है न ही गुरु के दौर की वास्तुकला की विरासत का।”
बयान में कौर ने कहा है कि माना जा रहा है कि भारतीय ध्वज, करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में लगने वाले निशान साहिब से ऊंचा होगा और अगर ऐसा है तो इससे अहंकार की बू आ रही है न कि महान गुरु के सम्मान की। उन्होंने कहा कि इसने पाकिस्तान को दुविधा में डाल दिया है कि अगर वह भी निशान साहिब से ऊंचा झंडा लगाए तो यह सिखों की नजर में गलत होगा और अगर छोटा लगाए तो उसे भारत के सामने नीचा देखना पड़ेगा।