अभिनेता-गायक करण ओबेरॉय को मुंबई की अदालत से एक बड़ी राहत मिली है। करण पर एक महिला तांत्रिक द्वारा उन्हें शादी का झांसा देकर बलात्कार करने का आरोप लगा था। हालांकि, मंगलवार को अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि पूरी घटना पर यकीन करना मुश्किल है।
ओबेरॉय इतने समय से पुलिस कस्टडी में थे। टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, अदालत के आदेश में लिखा है-“मादक पदार्थों के प्रशासन द्वारा संभोग के संबंध में कहानी इस तथ्य पर विश्वास करना मुश्किल है कि इस घटना के तुरंत बाद मुखबिर अपने घर के लिए निकल गयी थी। वीडियो को वायरल करने के लिए डराने-धमकाने के तहत जबरन वसूली के मामले में इस तथ्य पर विश्वास करना भी मुश्किल है कि मुखबिर आवेदक को समय-समय पर उपहार देते रहे और व्हाट्सएप संदेशों में उनके निरंतर सौहार्दपूर्ण संबंध को भी देखा जा सकता है।”
करण के वकील ने सबूत के तौर पर व्हाट्सएप संदेशों को पेश किया था जिन्हें प्रेस कांफ्रेंस के दौरान, मीडिया के सामने भी दिखाया गया। ये प्रेस कांफ्रेंस पूजा बेदी और ओबेरॉय के बैंड सदस्यों सहित उनके करीबी दोस्त द्वारा आयोजित की गयी थी।
सात पन्नो के आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस यू बाघेल ने ये भी उल्लेख किया-“रिकॉर्ड पर व्हाट्सएप संदेशों के अध्ययन से पता चलता है कि वे अश्लील भाषा में तक बातचीत करने लग गए थे। यह भी देखा जाता है कि उन्होंने अंतरंगता विकसित कर ली थी। हालांकि, इस बात का कोई संदेश नहीं है कि अभिनेता ने उससे शादी करने का वादा किया था।”
न्यायाधीश ने इस प्रकार यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला-“इस मामले के विचार में, हालांकि, इस अदालत को, प्रथम दृष्टया, बलात्कार की प्रारंभिक कहानी पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है।”