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    कमल हासन

    मशहूर अभिनेता-निर्देशक-निर्माता कमल हासन ने फिल्मी करियर के बाद अब राजनीतिक करियर में शामिल हो गए है। हासन ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी मक्काल नीधि मैय्यम की शुरूआत की। करीब पांच दशक के सफल फिल्मी करियर के बाद 63 वर्षीय कमल हासन अब तमिलनाडु के राजनीतिक करियर में भाग्य आजमा रहे है। हसन दक्षिणी भारत के दिग्गज सुपरस्टार है।

    हासन ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत दक्षिणी तमिलनाडु के मदुरै से की है। राज्य में फिल्मी हस्तियों से लेकर राजनीति में जाने का लंबा इतिहास रहा है। इसमें मुख्य तौर पर तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता व एम जी रामचंद्रन शामिल है।

    कमल हासन का फिल्मी करियर साल 1970 में तमिल फिल्म कालाथुर कन्नममा में निर्दोष अनाथ लड़के का अभिनय करने के बाद से ही शुरू हुआ। कमल हसन डांस सहायक भी रह चुके है। इसके बाद कमल ने अनुभवी फिल्म निर्माता और दादासाहेब फालके पुरस्कार प्राप्त दिवंगत के बालाचंदर का साथ प्राप्त किया था। जिन्होंने सुपरस्टार रजनीकांत को भी बनाया था।

    कमल हासन ने अपने फिल्मी सफर में कई राष्ट्रीय और अन्य पुरस्कार जीते है। साल 1981 में बालाचंदर द्वारा निर्देशित सुपरहिट फिल्म एक दूजे के लिए में कमल ने हिन्दी फिल्मों की शुरूआत की। कमल हसन की पहचान रोमांटिक व एक्शन युवा हीरो के रूप में होने लगी।

    कमल के एक्टिंग कौशल की तुलना शिवाजी गणेशन से की जाने लगी। कमल हसन ने अपने फिल्मी सफर में काफी पैसा व सम्मान हासिल किया। तमिल फिल्मों के साथ ही हिन्दी फिल्मों मे भी कमल हसन ने अपनी छाप छोडी।

    फिल्म विश्वरूपम का हुआ था जमकर विरोध

    अभिनेता कमल हासन का सबसे चुनौतीपूर्ण व खराब समय साल 2012-13 में आया था जब कुछ मुस्लिम समूहों ने अपने समुदाय के चित्रण के लिए हसन की फिल्म विश्वरूपम  का विरोध किया था।

    अमेरिका व भारत में इस फिल्म के लिए उन्हें काफी धमकियां भी मिली थी। इस बवाल के बाद कमल हसन देश को छोडने वाले भी थे। लेकिन बाद में कुछ सीन पर से कटौती करने व बातचीत के बाद फिल्म रिलीज हो गई।

    फिल्मी सफर के दौरान कमल हसन को राजनीति से दूर ही देखा जाता था। हसन अक्सर राजनीति और राजनीतिक विवादों से दूर रहते थे, हालांकि उनके समकालीन एक्टर रजनीकांत कभी-कभी राजनीति से ताल्लुक रखा करते थे।

    राजनीति में प्रवेश

    कमल हासन को वामपंथी विचारों का समर्थक के तौर पर भी देखा जाता है। हालांकि पिछले साल जयललिता की मृत्यु के कुछ महीने बाद से ही कमल हसन ने भ्रष्टाचार के मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाया। अन्य कई मुद्दों पर सत्ताधारी एआईएडीएमके पर जमकर ट्विटर के माध्यम से आरोप भी लगाए।

    कमल हासन के ट्वीट के बाद से ही सत्ताधारी पार्टी उन्हें कहने लगी कि राजनीति में प्रवेश किए बिना उन्हें पत्थर फेंकना नहीं चाहिए। इस पर कमल हसन ने भी राजनीति में जाने का फैसला कर लिया। धीरे-धीरे कमल हसन ने कई राजनीतिक नेताओं के साथ मुलाकात की। जिसमें दिल्ली, केरल व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री शामिल है।

    कमल हासन नें अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत करते हुए कहा था कि उनका रंग भगवा कभी नहीं होगा। इससे साफ़ है कि हासन लेफ्ट पार्टियों का समर्थन करेंगे। हासन नें अरविन्द केजरीवाल से कई बार मुलाकात की है, जो उनके राजनैतिक कैरियर का भविष्य साफ़ दर्शाता है।

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