भोपाल, 14 मई (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ राज्य की बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए रोजगार मूलक निवेश नीति पर काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने उद्योगपतियों से अपने पुराने मधुर रिश्तों का इस्तेमाल करने और राज्य के हर जिले की जरूरत के मुताबिक निवेश लाने की योजना बनाई है।
कमलनाथ को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान संभाले पांच माह से अधिक का समय हो चुका है और उन्हें अभी सिर्फ 75 दिन काम करने का मौका मिला है। उसके बाद से लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू है।
मध्य प्रदेश को वह कैसा राज्य बनाना चाहते हैं, राज्य को लेकर उनकी क्या कल्पना है? कमलनाथ ने इस मुद्दे पर आईएएनस के साथ विस्तार से बातचीत की।
राज्य में रोजगार एक बड़ी समस्या है और इस समस्या से निपटने के लिए कमलनाथ के पास क्या योजना है? उन्होंने कहा, “राज्य में आज सबसे बड़ी जरूरत है कि नौजवानों का भविष्य सुनहरा और सुरक्षित हो, रोजगार के नए अवसर पैदा हों, व्यवसाय के अवसर पैदा हों। जबतक निवेश नहीं आता तबतक यह नहीं हो सकता। प्रदेश को लेकर निवेशकों के बीच एक विश्वास का वातावरण बनाना पड़ेगा, क्योंकि निवेश विश्वास से आता है।”
उन्होंने कहा, “कई निवेशकों के साथ बैठकें हुई हैं। उन्होंने सुझाव दिए हैं, अब राज्य में नई निवेश नीति बनेगी, जो क्षेत्रवार (सेक्टर वाइस), जिला वार होगी, क्योंकि हर जिले की स्थिति अलग है। आने वाले समय में ये सब किया जाएगा।”
कमलनाथ लगभग दो दशक से ज्यादा समय तक केंद्र सरकार में विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वह वाणिज्य, उद्योग और पर्यावरण मंत्री रहे हैं। इसके चलते देश के लगभग हर उद्योगपति से उनका परिचय है। कई विदेशी निवेशकों से भी उनके करीबी रिश्ते हैं। कमलनाथ अपने इन तमात संबंधों और अनुभवों का उपयोग प्रदेश में बदलाव लाने के लिए करना चाहते हैं।
आखिर वह प्रदेश को कैसा स्वरूप देना चाहते हैं? मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारी चाहत और कोशिश है कि रोजगार के अवसर बनते रहें, राज्य में निवेश आए। हमारे सामाजिक क्षेत्र में जो योजनाएं हैं, सही नहीं चल रही हैं, उनमें सुधार लाया जाए।”
औद्योगिक घरानों से मधुर संबंधों को लेकर हालांकि विरोधी कमलनाथ पर हमले भी करते रहे हैं। उन्हें नेता के बदले उद्योगपति प्रचारित किया गया, मगर कमलनाथ बेहिचक अपने इन संबंधों को अपनी ताकत मानते हैं। वह कहते हैं, “मैं वाणिज्य मंत्री था, सबके साथ संबंध था, संबंध तो सबके साथ रहता है। न कभी किसी का बुरा किया और न कभी बुरा सोचा। इसीलिए सबसे अच्छे संबंध आज भी हैं। मध्य प्रदेश में निवेश लाने के लिए इन संबंधों का फायदा उठाऊंगा।”
पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में राज्य में इंवेस्टर्स समिट खूब हुए और लगभग हर समिट में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए थे। मगर जमीनी स्तर पर कुछ नजर नहीं आया। कई इलाकों में किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीनें ले ली गईं, मगर अबतक कोई उद्योग स्थापित नहीं हुआ। इस पर कमलनाथ ने चिंता जताई, “यह बात सच है कि उद्योगों ने जमीन तो ले ली, मगर उद्योग नहीं लगे, क्योंकि विश्वास नहीं था। बगैर विश्वास के निवेश नहीं आता। निवेश के लिए जरूरी है कि विश्वास का वातावरण बने। राज्य भ्रष्टाचार मुक्त हो, निवेशक को इस बात का अहसास हो कि यहां भ्रष्टाचार नहीं है, वे फंसेंगे नहीं। फिर वे निवेश करने में नहीं हिचकेंगे।”
राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान छिंदवाड़ा मॉडल की खूब चर्चा हुई थी। कमलनाथ यहां से नौ बार सांसद रह चुके हैं। कभी पिछड़ा माना जाने वाला जिला अब अगड़े और सुविधा संपन्न जिलों में गिना जाने लगा है। छिंदवाड़ा मॉडल के बारे में कमलनाथ ने कहा, “छिंदवाड़ा में जो विकास हुआ है, उसे सबने देखा है। मेरा प्रयास रहेगा कि छिंदवाड़ा को लेकर जो नजरिया और ²ष्टिकोण था, ठीक उसी ²ष्टिकोण के साथ हर जिले में कुछ न कुछ शुरू किया जाए। साथ ही यह प्रयास रहेगा कि छिंदवाड़ा का मॉडल पूरे प्रदेश में दिखे। इसकी शुरुआत करनी है।”
राज्य में पानी की एक बड़ी समस्या है। कमलनाथ के पास इस समस्या का क्या समाधान है? उन्होंने कहा, “यह बात सही है कि राज्य में पानी की भयंकर समस्या है। सिंचाई, पेयजल दोनों की समस्या है। इसके लिए आधुनिक तकनीक के जरिए लिफ्ट की बहुत सारी तकनीकें आई हैं। सिर्फ सिंचाई के लिए ही नहीं, पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए लिफ्ट किया जाएगा। इस प्रकार की योजनाएं बना रहे हैं, ताकि पानी का सही प्रबंधन हो सके। दरअसल पानी की कमी नहीं है, बल्कि प्रबंधन की कमी है।”