भोपाल, 21 मई (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार द्वारा जनहित में किए गए कार्यो की जानकारी नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को नहीं होने को लेकर सवाल उठाया है, और साथ ही जनहित के मुद्दे पर चर्चा के लिए सदैव तैयार रहने की बात कही।
नेता प्रतिपक्ष भार्गव ने सोमवार को राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग की थी। इसकी प्रतिलिपि मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी भेजी गई है। भार्गव ने राज्यपाल को लिखे पत्र में जिन समस्याओं को लोकहित का बताते हुए सत्र बुलाने की मांग की है, उन मुद्दों पर कमलनाथ ने सिलसिलेवार भार्गव को जवाब दिया है।
कमलनाथ ने भार्गव को मंगलवार शाम लिखे पत्र में कहा है, “बिना किसी तथ्य की जानकारी के मात्र अनुमान और कल्पना के आधार पर राज्यपाल को पत्र लिखा है। हम जनहित के किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए सदैव तैयार हैं।”
कमलनाथ ने कहा है, “17 दिसंबर, 2018 को सत्ता में आने के बाद से ही सरकार ने जनकल्याण के विषयों पर तत्काल कार्य करना आरंभ कर दिया था। 10 मार्च, 2019 को लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने तक सरकार को ढाई माह काम करने का मौका मिला। इस दौरान जनकल्याण के कई निर्णय लिए गए।”
नेता प्रतिपक्ष को लिखे गए पत्र में कमलनाथ ने कहा है, “राज्य सरकार ने 73 दिनों में 85 वचन पूरे किए। सबसे महत्वपूर्ण फैसला किसानों की कर्जमाफी का लिया गया। राज्य के 21 लाख से अधिक किसानों के कर्ज माफ किए जा चुके हैं। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा खजाना खाली छोड़े जाने के बावजूद किसानों को भावांतर और गेहूं की प्रोत्साहन योजना का लाभ दिया जा रहा है। राज्य में 11़ 06 लाख किसानों से अबतक 68 लाख टन गेहूं, चना, मसूर व सरसों की खरीदी की जा चुकी है। किसानों को एक सप्ताह के भीतर भुगतान किया जा रहा है।”
नेता प्रतिपक्ष भार्गव ने संबल योजना और अन्य योजनाओं को बंद करने का कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया था। इसके जवाब में कमलनाथ ने लिखा है, “ये योजनाएं सतत रूप से संचालित हैं। हितग्राहियों को इसका लाभ मिल रहा है। इतना ही नहीं संबल योजना के तहत हितग्राहियों को बिजली बिल 200 रुपये मासिक के स्थान पर 100 रुपये देना पड़ रहा है। नेता प्रतिपक्ष के क्षेत्र गढ़ाकोटा व रेहली में हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है।”
कमलनाथ ने राज्य में पेयजल समस्या और आपराधिक घटनाओं के बढ़ने के आरोपों पर भी भार्गव को जवाब दिया है। उन्होंने लिखा है, “मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि लोकसभा निर्वाचन में व्यस्तताओं के कारण आप नागरिकों से जुड़ी सेवाओं और उनकी समस्याओं की ओर शायद ध्यान नहीं दे पाए हैं और उनसे अनभिज्ञ हैं।”