लगातार कमजोर होते रुपये को देखते हुए अब आरबीआई अपनी ब्याज़ दर बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इसी के संबंध में आरबीआई अक्टूबर तक कोई फैसला ले सकता है।
विश्लेषकों के अनुसार लगातार कमजोर होता रुपया नीति निर्धारित करने वाले लोगों को परेशान कर सकता है। मंगलवार को डॉलर के मुक़ाबले रुपया 72.68 रुपये प्रति डॉलर पर था।
रिजर्व बैंक के लिए जरूरी हो गया है कि वो इसे लेकर अपनी नीतियों का निर्धारण करे। लगातार रुपये में होती जा रही गिरावट देश की आर्थिक विकास दर को प्रभावित कर सकती है।
अगर आरबीआई अपनी तरफ से ब्याज़ दरों को बढ़ता है तो केंद्रीय बैंकों को भी अपनी नीतियों का निर्धारण इसे ध्यान में रख कर करना होगा।
आरबीआई के लिए फिलहाल राहत की बात ये है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी सही दर के साथ आगे बढ़ रही है तथा आगे इस दर के 8 फीसद से भी आगे जाने का मौका है, हालाँकि रुपये की गिरती कीमत व तथा देश में आसमान छूते तेल के दाम इसे परेशान कर सकते हैं।
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था विचलित हो सकती है, हालाँकि माना ये जा रहा है कि इस सभी कारकों के बावजूद भारत अच्छी दर के साथ आगे बढ़ेगा।
इस साल अगस्त में करीब 3.7 प्रतिशत की दर से मुद्रा प्रसार देखने को मिला। यह दर 2019 मे जाकर 4 प्रतिशत से भी ऊपर जा सकती है। फिर भी आरबीआई को अभी सचेत रहना होगा क्योंकि जरा सी चूक से देश में मंदी का खतरा पैदा हो सकता है।
अमेरिका-चीन वार भी एक बड़ा कारण बताया जा रहा है जिसकी वजह से पूरे विश्व को एक बार फिर से 2008 जैसी मंदी देखने को मिल सकती है।