जयपुर, 3 जुलाई (आईएएनएस)| जयपुर में प्रौद्योगिकी का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग करते हुए किशोरों को ए-रेटेड बॉलीवुड फिल्म ‘कबीर सिंह’ देखने के लिए अपने आधार कार्ड पर अपनी उम्र में छेड़छाड़ करते देखा गया है। शहीद कपूर अभिनीत फिल्म कबीर सिंह सिनेमा हॉल में सुपरहिट चल रही हैं। लेकिन इसे ‘वयस्क’ प्रमाण पत्र मिला है, जिससे 18 वर्ष से कम आयु के लोग फिल्म नहीं देख सकते।
आकाश (बदला हुआ नाम) ने आईएएनएस को बताया, “मैंने और मेरे दोस्तों ने अपने आधार कार्ड की तस्वीर ली और जन्मतिथि को बदलने के लिए उसे एक मोबाइल ऐप पर एडिट किया। किसी ने थिएटर के गेट पर हमें नहीं रोका और हम फिल्म देखने में कामयाब रहे।”
एक अन्य छात्र युवराज (बदला हुआ नाम) ने कहा, “हमने ‘बुक माई शो’ से थोक में कई टिकट बुक करवाए और आश्चर्यजनक रूप से किसी ने भी हमारी उम्र या पहचान पत्र के बारे में नहीं पूछा।”
उसने आगे कहा, “सिनेमा हॉल के गार्ड ने हमें रोका, लेकिन हमारे स्कूल के दोस्तों ने हमें पहले ही बता रखा था कि इससे कैसे निपटना है। इसलिए हमने अपने स्मार्टफोन से अपने आधार कार्ड की तस्वीर ली, जन्मतिथि को बदला और मिनटों में वयस्क बन गए।”
टिकट बुकिंग वेबसाइट ‘बुक माई शो’ के एक अधिकारी ने कहा, “टिकट बुक करने के दौरान हमारी साइट पर एक पॉप-अप दिखाई देता है जो यह कहता है कि 18 साल से कम उम्र के लोग ए-रेटेड फिल्म नहीं देख सकते, लेकिन लोग इस पॉप-अप को अनदेखा कर देते हैं और टिकट बुक करते हैं। चूंकि यह ऑनलाइन ट्रांस्केशन है इसलिए हम उनके पहचान पत्र नहीं मांगते जिन्हें सिनेमा हॉल के गेट पर जांचा जाता है।”
आईनॉक्स मुंबई के एक अधिकारी ने इस बात को स्वीकार किया कि मल्टीप्लेक्स चेन ‘कबीर सिंह’ के मामले में चुनौती का सामना कर रही है, क्योंकि बड़ी संख्या में किशोर यह फिल्म देखने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, “हालांकि हमारे कर्मचारी स्थिति को बड़ी ही विनम्रता के साथ संभलकर उन्हें थिएटर से वापस भेज रहे हैं। ”
आईनॉक्स के अधिकारी ने कहा, “जब कोई ग्राहक ए-रेटेड फिल्म के बारे में पूछताछ करता है तो हम साफ तौर पर बता देते हैं कि केवल 18 साल से बड़ी उम्र के लोग ही इसे देख सकते हैं। हम ए-रेटेड फिल्मों के लिए टिकट पर एक लाल रंग की मुहर भी लगाते हैं।”
मनोवैज्ञानिक डॉ. अनामिका पाप्रीलवाल के मुताबिक, “फिल्म में नायक कबीर सिंह, की किसी चीज को पाने की तीव्र इच्छा के बारे में दिखाया गया है जिसे युवाओं द्वारा सराहा जा रहा है।”
डॉ. अनामिका ने कहा कि उन्होंने स्वयं कई युवाओं से बात की जो फिल्म देखकर आए। “उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी फिल्म है जिसे दिमाग का इस्तेमाल किए बगर देखा जाना चाहिए और इसके खत्म होने के बाद इसे भूल जाना चाहिए। अगर हम इसे हमारी जिंदगी में लागू करेंगे तो हम राह से भटक जाएंगे।”
डॉ. अनामिका ने आगे कहा, “उम्मीद है कि युवा अपरिपक्व दिमाग पर गलत विचारों के अनावश्यक महिमामंडन के नकारात्मक प्रभाव से बचें।”