आयुर्वेद तीन दोषों के सिद्धांतों पर काम करता है। ये होते हैं: कफ दोष, पित्त दोष और वात दोष। ये तीन दोष ऐसी उर्जा होते हैं जो आपके शरीर में विभिन्न कार्यों को करने के लिए ज़िम्मेदार होती है।
विषय-सूचि
प्रत्येक इंसान की प्रकृति के कारण वे दूसरों के मुकाबले कुछ तत्वों से अधिक आहात होते हैं। इस गुण के कारण दोष तीन तरह से विभाजित होते हैं:
- पित्त दोष– इसमें अग्नि मुख्य रूप से हावी होता है
- वात दोष– इसमें हवा और आकाश मुख्य रूप से हावी होने वाले तत्व होते हैं
- कफ दोष– इसमें पृथ्वी और जल मुख्य रूप से हवाई होते हैं
कफ दोष शरीर के विकास को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होता है। यह शरीर के विभिन्न अंगों तक जल पहुँचाने के लिए ज़िम्मेदार होता है और त्वचा को नमी प्रदान करता है।
यह प्रतिरक्षा को बनाये रखने में भी लाभकारी होता है। कफ दोष श्वसन प्रणाली के लिए उपयोगी होता है और मस्तिष्क और जोड़ों के सामान्य कार्य में मदद करता है।
यदि आपको इनमें से किसी भी तंत्रिका में असंतुलन नज़र आये तो उसका कारण कफ दोष ही होता है।
कफ दोष के लक्षण
कमज़ोर पाचन या अपाचन
पाचन क्षमता अग्नि से सम्बंधित होती है। इसलिए कफ दोष के बढ़ जाने पर पाचन में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है।
शीतलता
कफ दोष पानी से सम्बंधित होता है जिसके कारण शीतलता इसका आम लक्षण होता है।
सूजन
यदि आपके शरीर में सूजन हो और किसी प्रकार का पेय एकत्रित हो जाये तो इसका कारण कफ दोष का असंतुलन होता है।
हालांकि, यदि आपको सूजन वाले स्थान पर लाली और पस जमा हुआ दिखे तो यह पित्त दोष के कारण होता है। और यदि वहां दर्द भी हो तो वह वात दोष के कारण होता है।
आलस्य
कफ दोष में असंतुलन के कारण इंसान आलसी हो जाता है। यदि आपके शरीर का प्रकार कफ है तो इसे नए माहौल में ढलने में समय लग जाता है।
अतिरिक्त नींद
कफ दोष में असंतुलन के कारण आपको अत्यधिक नींद आती है और वात और पित्त दोष में गड़बड़ी के कारण नींद की कमी हो जाती है।
खुजली
कफ दोष में असंतुलन के कारण खुजली भी होने लगती है। दूसरी ओर, वात दोष में असंतुलन के कारण दर्द होता है और पित्त दोष के कारण जलन उत्पन्न हो जाती है।
भारीपन
यदि आपको किसी बीमारी में भारीपन महसूस होता है तो यह कफ दोष के असंतुलन के कारण होता है।
डिप्रेशन
कफ दोष से पीड़ित लोग बहुत जल्दी उम्मीद खो देते हैं और डिप्रेशन में चले जाते हैं। इसलिए ऐसी सलाह दी जाती है कि कफ प्रकार के शरीर वाले लोग एक स्वस्थ जीवन जीयें और अपने आपको व्यस्त रखें।
कफ, अस्थमा और दमा
कफ दोष श्वसन प्रणाली के लिए ज़िम्मेदार होता है इसलिए इसके असंतुलन से आपको खांसी जुखाम बहुत जल्दी हो जाता है।
कुछ अन्य लक्षणों में मोटापा, बलगम, नाक, छाती और गले में घबराहट, थकान, पेट का फूलना, लोपित जीभ, पानी प्रतिधारण, जी मिचलाना, जोड़ों में भारीपन और अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल की समस्या शामिल होती है।
चरख के अनुसार कफ दोष के लक्षण
1. खुजली यानि कंदु
2. सफेदी यानी श्वैत्य
3. मूर्खता यानी सुपी
4. कूलनेस यानि शैत्य
5. मिठास यानि माधुर्य
6. नमी यानी क्लेदा
7. हेवीनेस यानी गौरव
8. अवरोध (बाध्यकारी) यानी बांधा
9. ऑइलनेस यानी स्नेहा
10. धीमापन यानि चैराकरित्य
11. स्थिरता यानी स्थैर्य
12. स्लिमनेस यानि उपदेहा
कफ में कमी के निम्न लक्षण होते हैं:
1. चक्कर आना
2. भ्रम
3. ढीले जोड़
4. पल्पेशन (दिल की धड़कन का महसूस होना)
यदि आपको इनमें से किसी भी लक्षण की अनुभूति हो तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
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In me se konse dosh ki wajah se asthma hota h?
Pitt dosh Kya hota h?
Dosh kaa matlab kyaa hotaa hai iskaa matlab bimaari se hotaa hai kyaaa? isko hum dosh kyoon kehte hain? bimaari kyon nahi??