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    कन्हैया कुमार

    लेफ्ट पार्टियाँ बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने में एक अहम् भूमिका निभा रही है। लेकिन जब बात सीट बंटवारे की आती है, तो अक्सर ऐसा देखा गया है कि बड़ी पार्टियाँ इसे ज्यादा भाव नहीं देती है।

    चाहे केरल हो या फिर, बिहार का बेगूसराय, लेफ्ट को बीजेपी के साथ-साथ विपक्षी दलों से भी टक्कर मिल रही है।

    पिछले महीने ऐसी सुगबुगाहट थी कि बेगूसराय सीट से कन्हैया कुमार विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार होंगे। लेकिन बाद में महागठबंधन नें तनवीर हसन का नाम घोषित कर दिया था।

    अब इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। कन्हैया कुमार के अलावा तनवीर हसन और बीजेपी के गिरिराज सिंह यहाँ दो-दो हाथ करेंगे।

    आज कन्हैया कुमार नें मोदी सरकार को निशाना बनाते हुए कहा, “ये लड़ाई पढ़ाई और कड़ाही के बीच है- एक तरफ़ वे लोग हैं जो पढ़-लिखकर अपना और देश का भविष्य बनाना चाहते हैं तो दूसरी तरफ़ वे जो इन पढ़े-लिखे युवाओं से 200 रु दिहाड़ी पर पकौड़ा तलवाना चाहते हैं। किसी इंजीनियर का मजबूरी में खलासी बनना रोज़गार नहीं,बल्कि सरकारी नीतियों का अत्याचार है।”

    कन्हैया कुमार की पार्टी सीपीआई के जनरल सचिव सुधांकर रेड्डी का मानना है कि कन्हैया अवरोधक और साहस का प्रतीक है और यहाँ की जनता को उनका समर्थन करना चाहिए।

    रेड्डी नें कहा कि कई लोग कह रहे हैं कि इस सीट पर महागठबंधन नें कन्हैया से द्वेष की भावना के चलते समर्थन नहीं किया है, जो कि ठीक नहीं है।

    उन्होनें कहा कि देशद्रोह जैसे आरोप लगने के बाद भी कन्हैया जिस निडरता के साथ लड़ता रहा, वह दिखाता है कि उसमें कितना साहस है। उन्होनें कहा कि हम अब भी आरजेडी से विनती करते हैं कि वे अपने उम्मीदवार तनवीर हसन का नाम वापस ले लें और इस सीट पर कन्हैया का समर्थन करें।

    रेड्डी नें आगे कहा कि आरजेडी जाति के आधार पर राजनीति कर रही है और राजनैतिक समीकरणों को समझ नहीं पा रही है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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