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    कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar)और नौ अन्य के खिलाफ 2016 के एक देशद्रोह मामले में मुकदमा चलाने के लिए पुलिस को आज्ञा देने पर आलोचना की।

    “राजद्रोह कानून की अपनी समझ में दिल्ली सरकार भी केंद्र सरकार से कम अनजान नहीं है। श्री कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए और 120 बी के तहत मुकदमा चलाने के लिए दी गई मंजूरी को मैं पूरी तरह से अस्वीकृत करता हूं।”, चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा।

    2019 के लोकसभा चुनावों के लिए अपने चुनावी घोषणापत्र में, कांग्रेस ने यह कहते हुए राजद्रोह कानून को रद्द करने का वादा किया था कि इसका “दुरुपयोग होता है और किसी भी स्थिति में इसकी जरूरत नहीं है”।

    इससे पहले शुक्रवार को, भाजपा ने दावा किया कि यह सार्वजनिक दबाव था जिसने दिल्ली सरकार को कन्हैया कुमार और नौ अन्य के खिलाफ राजद्रोह के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के लिए मजबूर किया।

    “जनता के दबाव में, आखिरकार दिल्ली सरकार को जेएनयू मामले में अनुमति देने के लिए मजबूर होना पड़ा। तीन साल तक अरविंद केजरीवाल इसे टालते रहे लेकिन उन्हें लोगों के सामने झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा,” केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक ट्वीट में कहा।

    14 जनवरी, 2019 को, दिल्ली पुलिस ने कन्हैया और जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य सहित अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। पुलिस ने कहा था कि आरोपियों ने 9 फरवरी, 2016 को संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के फांसी की सजा के विरोध में मार्च निकाला और उस दिन जेएनयू परिसर में कथित रूप से उठाए गए देशद्रोही नारों का समर्थन किया था।

    कन्हैया को 12 फरवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था, उस साल 3 मार्च को जेल से रिहा किया गया था। 26 अगस्त, 2012 को कन्हैया, उमर और अनिर्बान को दिल्ली की अदालत ने नियमित जमानत दी।

    उन्होंने शुक्रवार देर रात इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शीघ्र मुकदमे की मांग की और कहा कि राजद्रोह का मामला “राजनीतिक लाभ के लिए बनाया गया और देरी से उठाया गया।”

    उन्होनें लिखा, “दिल्ली सरकार को सेडिशन केस की परमिशन देने के लिए धन्यवाद। दिल्ली पुलिस और सरकारी वक़ीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और TV वाली ‘आपकी अदालत’ की जगह क़ानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। सत्यमेव जयते।”

    कन्हैया नें आगे कहा, “सेडिशन केस में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट और त्वरित कार्रवाई की जरुरत इसलिए है ताकि देश को पता चल सके कि कैसे सेडिशन क़ानून का दुरूपयोग इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ और लोगों को उनके बुनियादी मसलों से भटकाने के लिए किया गया है।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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