म्यांमार की नेता आंग सू की सेना द्वारा प्रताड़ित किए रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के मसले को ढंग से न संभालने के कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचना झेल रही है। वही कनाडा की संसंद में आंग सू की से कनाडा के नागरिकता सम्मान वापस लेने के लिए मतदान हुआ था।
आंग सू की को इस सम्मान से वर्ष 2007 में नवाज़ा था। सू की उस वक्त लोकतंत्र अधिवक्ता थी जिन्हें घर में नज़रबंद रखा गया था। म्यांमार की नेता सेना के अभियान को रोकने में असफल रही जिसके कारण 70000 रोहिग्य मुस्लिम समुदाय के लोगो को पड़ोसी देशों में शरण लेनी पड़ी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कनाडा की संसद ने आंग सान सू से प्रतीकात्मक सम्मान को वापस लेने का निर्णय किया है क्योंकि वह आर्मी के नरसंहार को रोकने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि कनाडा रोहिंग्या समुदाय की मदद को तत्पर है। साथ ही म्यांमार के सैन्य अधिकारियों पर प्रतिबन्ध लगाये जायेंगे।
संसद की सदस्य सलमा जाहिद ने कहा कि आंग सान सू अब किसी नैतिक नेतृत्व की जिम्मेदारी लेने के लिए रजामंद नहीं होंगी। वह अक्षम्य और गहरे अवसाद में होंगी।
दक्षिणपंथी समूहों ने म्यांमार की सेना पर निर्मम हत्याओं और सामूहिक बालात्कार के आरोप लगाये हैं। सेना के इस खूनी अभियान की शुरुआत रखाइन प्रांत में पिछले साल अगस्त में हुई थी। सेना के मुताबिक उनका मकसद रोहिंग्या चरमपंथियों को ढूंढना था।
हजारों रोहिंग्या मुस्लिमों ने बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में शरण ले रखी है। बांग्लादेश का म्यांमार के साथ रोहिंग्या समुदाय को वापस भेजने के समझौते का डर शरणार्थियों को सता रहा है।
कनाडा को यह नागरिक सम्मान के आंग सान सू की अलावा पांच अन्य को भी दिया गया है। इनमे दलाई लामा, मलाल युसूफ्जई और नेल्सन मंडेला शामिल है।