कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सात दिवसीय भारत दौरे पर है। जस्टिन के भारत दौरे को लेकर विवाद भी शुरू हो गए है। पहले ही भारत कनाडा के पीएम पर खालिस्तान समर्थक होने का आरोप लगा चुका है। जस्टिन को सिख अतिवादिता को बढावा देने के लिए भारत ने इसे ही जिम्मेदार ठहराया था।
विदेशी मेहमान के देश में आगमन पर भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी भी जस्टिन को लेने एयरपोर्ट नहीं गए। जिसकी कनाडा मीडिया द्वारा जमकर आलोचना की गई। वहां की मीडिया ने छापा कि जस्टिन ट्रूडो को भारत दौरे के दौरान उचित सम्मान नहीं मिल रहा है।
जस्टिन के भारत दौरे में सर्वाधिक महत्वपूर्ण मुद्दा सिख अतिवादिता को लेकर ही है। लेकिन अभी तक इस पर कोई चर्चा नहीं हो सकी है। पहले पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने जस्टिन से मिलने से इंकार कर दिया था वहीं अब वे उनसे मिलने के लिए राजी हो गए है।
कनाडाई अधिकारियों की माने तो पहले खालिस्तान मुद्दे पर बैठक होना निर्धारित नहीं किया गया था। जस्टिन ट्रूडो व उनके रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन से पहले अमरिंदर ने मिलने के लिए मना किया था।
वहीं सिंह ने ट्वीट कर कहा कि वो बुधवार को अमृतसर में जस्टिन से मिलेंगे। भारत यह चाहता है कि खालिस्तान मुद्दे पर जस्टिन ट्रूडो के साथ सकारात्मक वार्ता हो। अमरिंदर सिंह कनाडा के रक्षा मंत्री को खलिस्तान के प्रति सहानुभूति रखने वाला बताते है।
भारत व कनाडा के बीच में व्यापारिक संबंध भी है। कनाडा भारत को यूरेनियन देने का महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है। साथ ही भारत की एनएसजी सदस्यता का भी कनाडा ने समर्थन किया है। लेकिन इसे भारतीय प्रतिष्ठान ने हमेशा से अनदेखा किया है। मोदी ने कनाडा पीएम का न हवाईअड्डे पर स्वागत किया और न ही उनके साथ अहमदाबाद यात्रा पर गए।
भारत के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए ही मंत्री जस्टिन ट्रूडो को स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे थे। कनाडाई पीएम ही नहीं बल्कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी मोदी ने हवाई अड्डे पर रिसीव नही किया था। जबकि अन्य देशों के प्रमुखों को मोदी खुद एयरपोर्ट पर लेने गए थे।
बुधवार को अमृतसर का दौरा करने के बाद शुक्रवार को जस्टिन ट्रूडो व भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी के बीच मुलाकात हो सकती है।