कजाकिस्तान के अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि पिछले सप्ताह हिंसा में उतरे विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 8,000 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया गया है।राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, कजाकिस्तान की खुफिया और आतंकवाद विरोधी एजेंसी, ने सोमवार को कहा कि देश में स्थिति स्थिर हो गयी है और बिगड़े हालात भी नियंत्रण में है।
अभूतपूर्व रूप से हिंसक अशांति के शिकार हुए दर्जनों लोगों के लिए अधिकारियों ने सोमवार को शोक दिवस घोषित किया है। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा कि अशांति में तीन बच्चों समेत 164 लोगों की मौत हुई है।
प्रदर्शनों की शुरुआत २ जनवरी को ईंधन की कीमतों में वृद्धि के विरोध में हुई थी परन्तु इन प्रदर्शनों ने तेज़ी से पूरे देश में पैर परसा लिए जो जाहिर तौर पर सत्तावादी सरकार के साथ व्यापक असंतोष को भी दर्शाता है।
रियायत देते हुए सरकार ने वाहन ईंधन पर 180-दिवसीय मूल्य सीमा और उपयोगिता दर में वृद्धि पर रोक लगाने की घोषणा की। जैसे ही अशांति बढ़ी, मंत्रिपरिषद ने इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रपति कसीम-जोमार्ट टोकायव ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रमुख के रूप में कजाकिस्तान के पूर्व लंबे समय के नेता नूरसुल्तान नज़रबायेव की जगह ले ली।
हिंसको ने सरकारी भवनों को आग के चपेट में दाल दिया और दर्जनों लोग इस हिंसा का शिकार भी हुए। कजाकिस्तान के सबसे बड़े शहर अल्माटी में प्रदर्शनकारियों ने हवाई अड्डे को अपना निशाना बनाया और उस हवाई अड्डे पर अपना कब्जा जमा लिया। कई दिनों से शहर में अस्थिरता का माहौल बना हुआ था।
अशांति के माहौल को देखते हुए अधिकारियो ने आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी थी और तोकायेव ने सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन से मदद का अनुरोध भी किया था। समूह ने लगभग 2,500 ज्यादातर रूसी सैनिकों को कजाकिस्तान में शांति सैनिकों के रूप में भेजने के लिए अधिकृत किया था। यह संगठन रूस के नेतृत्व में छह पूर्व-सोवियत गणराज्यों का सैन्य गठबंधन है।
तोकायेव का कहना था कि विरोध प्रदर्शन के लिए लोगों को उकसाने में विदेशी आतंकवादियों का हाथ था परन्तु अब तक प्रदर्शनों में किसी नेता या संगठन की संलिप्तता नजर नहीं आई है।