तटवर्ती राज्य ओड़िसा में अपने पाँव जमाने की कोशिश कर रही भारतीय जनता पार्टी को आज उस वक़्त बड़ा झटका लगा जब उसके दो सीनियर नेता दिलीप राय और बिजोय महापात्रा ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया।
राय विधानसभा में राउरकेला से सदस्य थे। उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफ़ा दे दिया है।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भेजे गए अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा कि दशकों तक पार्टी की सेवा करने के बाद वो अब पार्टी में महज शो पीस बन कर नहीं रहना चाहते।
उन्होंने कहा “हमारे लिए, राज्य का हित सर्वोच्च है। हमने किसी भी पोस्ट, पावर या टिकट के लिए कभी भीअपने आत्म सम्मान या राज्य के हित से समझौता नहीं किया है।” राय और महापात्रा ने पत्र में कहा, “हमारे द्वारा आपको दिए गए सुझावों को कुछ उदासीन स्वार्थी लोगों द्वारा खतरे के रूप में माना जाता है। उन्होंने हमारे खिलाफ हमारे ही क्षेत्र में हमें नीचा दिखाने का प्रयास किया और पार्टी की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया।’
महापात्रा ने 2009 में भाजपा का दामन थामा था और लगभग एक दशक तक पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव का पद संभाला। राय और महापात्रा दोनों के सत्ताधारी बीजू जनता दल में शामिल होने का अनुमान है।
भाजपा के राज्य इकाई के अध्यक्ष बसंत पांडा ने कहा कि राय और मोहपात्रा के जाने से पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पार्टी में रहना और जाना प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत अधिकार है।
राजनितिक विश्लेषकों का मानना है कि राय और महापात्रा का जाना भाजपा के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। पार्टी अगले साल लोकसभा चुनावों में ओड़िसा पर नज़र गडाए थी। राय के जाने से भाजपा को सुंदरगढ़ लोकसभा सीट पर भी मुश्किल हो सकती है। 2014 के लोकसभा चुनावों में सुंदरगढ़ ही एकमात्र ऐसी सीट थी जो भाजपा के हिस्से आई थी।
महापात्र कटक के क्षेत्र में असरदार थे लेकिन उनके जाने से भाजपा को वहां भी उनकी खाली जगह को भरना पड़ेगा।