भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि “मानवता के लिए आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है और ब्रिक्स के सदस्य देशों से आतंकवाद और नस्लवाद के समर्थन के सभी माध्यमों को खत्म करने में योगदान देने का आग्रह किया था। वह जापान में आयोजित जी-20 सम्मेलन में ब्रिक्स के नेताओं को सम्बेधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने विश्व की तीन प्रमुख चुनौतियों को को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि “मैं तीन प्रमुख चुनौतियों पर फोकस करना चाहता हूँ, आर्थिक रफ़्तार में कमी और अनिश्चितता, विकास को अधिक सतत बनाना और आतंकवाद।” उनके साथ ब्राज़ील के राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो, रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा थे।
उन्होंने कहा कि “आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। न सिर्फ यह मासूमों से उनकी जिंदगियां छिनता है बल्कि आर्थिक विकास और सांप्रदायिक सामंजस्य को भी नकारात्मकता से प्रभावित करता है। हमें आतंकवाद और नस्लवाद को समर्थन के सभी माध्यमों को रोकने की जरुरत है।”
नरेंद्र मोदी ने कहा कि “हमें वित्तीय और कारोबारी संगठनों के सुधार के लिए जोर देना चाहिए, तेल और गैस की कीमतों को न्यूनतम रखना चाहिए। परिस्थिति और सामाजिक ढाँचे में नए विकास बैंको को अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए और सदस्यों देने को अक्षय ऊर्जा कार्यक्रमों को प्राथमिकता देनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि “भारत की पहल आपदा रहित संरचना के निर्माण से सही ढंग के ढांचों के निर्माण में मदद मिलेगी जो आपदा से जूझ रहे विकसित और विकासशील देशों की मदद करेगी। यह उन देशों के लिए फायदेमंद होगा जिनकी अधिकतम जनसँख्या कार्य करने की आयु सीमा को पार कर चुकी है।”
इससे पूर्व मोदी ने डोनाल्ड ट्रम्प और शिंजो आबे के साथ त्रिकोणीय बैठक में भाग लिया था। इसमें तीनो नेताओं ने कनेक्टिविटी, इंफ्रास्ट्रक्चर और इंडो पैसफिक में शान्ति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए चर्चा की थी।