जर्मनी की फूड डिलीवरी कंपनी हीरो नें अपना फूडपांडा का भारतीय कारोबार ओला को बेच दिया है। इसके बदले में जर्मन कंपनी नें ओला में शेयर खरीदे हैं। इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए ओला कंपनी 200 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी, जिसके साथ ही फूड डिलीवरी कारोबार को ओला अपने कैब कारोबार से जोड़ सकती है।
विश्लेषकों के मुताबिक, ओला फूंड पांडा का अधिग्रहण कर फूड डिलिवरी बिजनेस में भारत की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी है। 2015 में ओला कैफे की असफलता के बाद ओला फूड डिलिवरी बिजनेस में अपना हाथ आजमाने जा रही है।
फूड पांडा इंडिया के पूर्व सीईओ कोचर ने कंपनी छोड़ दी है, अब ओला के फाउंडर पार्टनर प्रणय जिवराजका ने फूड पांडा इंडिया के अंतिरिम सीईओ के रूप में पदभार संभाला है, अब फूड पांडा इंडिया की टीम में प्रणय की अगुवाई में काम करेगी।
ओला के सीईओ अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ सालों से फूड पांडा बेहतरीन कमाई कर रहा है, ऐसे में कंपनी फूड पांडा में 200 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी जिससे ग्राहकों में हमारी भागीदारी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि फूड पांडा के वैश्विक विस्तार तथा ओला प्लेटफ़ॉर्म के स्थानीय क्षमताओं के बदौलत यह फूड डिलिवरी बिजनेस तेजी से आगे बढ़ेगा।
एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ईटी को बताया कि ओला कैफे अपने रस्टोरेंट में उपभोक्ताओं को मेनू के हिसाब से खाना उपलब्ध कराने में असमर्थ था, ऐसे में यूजर्स ने ओला कैफे की सेवाएं लेनी बंद कर दी। हांलाकि फूड पांडा में 200 मिलियन डॉलर निवेश बहुत अधिक नहीं है, बावजूद इसके कंपनी ओला इस कदम के जरिए फूड डिलिवरी बिजनेस के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमाने में सफल हो सकती है।
फूड डिलीवरी कारोबार में कड़ी प्रतिद्वंदिता
जाहिर है भारतीय बाजार में इस समय फूड डिलीवरी का बाजार काफी बड़ा है। कई विदेशी कंपनियां इसमें शामिल होने के लिए बड़ी मात्रा में निवेश कर रही हैं। मार्केट में इस समय उबर ईट्स, जोमेटो और स्विगी जैसी कंपनियां हैं, जिनसे ओला की कड़ी प्रतिद्वंदिता रहेगी। इससे पहले आपको बता दें कि ओला फूड डिलीवरी में शामिल थी, लेकिन कंपनी नें साल 2016 में इस कारोबार को छोड़ दिया था।
भारत में फ़ूड डिलीवरी के कारोबार में इस समय 5 कंपनियां मुख्य रूप से हिस्सेदार हैं, जिनमे जोमेटो, स्विगी, फूडपांडा, फ्रेशमेनू और उबर ईट्स शामिल हैं। भारत में प्रतिदिन करीबन 3 लाख फूड डिलीवरी के आर्डर पुरे किये जाते हैं। ऐसे में मार्किट साइज़ के हिसाब से यह काफी बड़ा है।
फूडपांडा का अधिग्रहण करने से ओला को इस कारोबार में बढ़त जरूर मिलेगी। बावजूद इसके कि फूडपांडा को साल 2017 में करीबन 45 करोड़ का घाटा हुआ था, ओला के लिए यह सौदा फायदेमंद हो सकता है।
भारत के 100 से अधिक शहरों में फूड पांडा के 15000 से अधिक रेस्टोरेंट हैं। साल 2016 से 2017 के दौरान फूंड पांडा इंडिया ने 62.16 करोड़ रूपए की कमाई की, जबकि वित्तीय वर्ष 2015 में मात्र 37.81 करोड़ रुपए। 2015-16 के दौरान कंपनी को कुल 142.64 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था, जो साल 2016-17 के दौरान घटकर मात्र 44.81 करोड़ रुपए रह गया है। कंपनी फूडपांडा इस बात की घोषणा कर चुकी है कि साल 2019 में वह निश्चित से जबरदस्त कमाई करेगी और फायदे में रहेगी।