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    सरकार ने 2024 और 2028 ओलंपिक खेलों में अधिक से अधिक पदक जीतने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 14 खेलों की पहचान की है। सरकार को लगता है कि इन 14 खेलों में पदक जीतने की संभावना सबसे ज्यादा है और इसलिए उसने इन खेलों के विकास पर जोर देने का फैसला किया है। केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने अंग्रेजी अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ को दिए साक्षात्कार में इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि इस बाबत राज्यों से भी कहा गया है कि वे इन खेलों पर ज्यादा ध्यान दें।

    रिजिजू ने साथ ही राज्य सरकार से बातचीत के बाद ‘वन स्टेट, वन गेम’ पहल की भी शुरुआत की बात की। खेल मंत्री के बयान पर अगर गौर किया जाए तो उन्होंने इन खेलों को दो तरह से विभाजित किया है।

    सरकार ने ओलंपिक खेलों को ध्यान में रखकर जिन खेलों की पहचान की है, उनमें तीरंदाजी, मुक्केबाजी, निशानेबाजी, बैडमिंटन, कुश्ती, हॉकी, भारोत्तोलन, साइक्लिंग और एथलेटिक्स प्रमुख रूप से शामिल हैं। सरकार इन खेलों पर 2024 और 2028 के लिए प्राथमिक रूप से ध्यान देगी जबकि 2028 के बाद से सरकार इन खेलों की सूची में कुछ और खेल शामिल करेगी जिनमें टेबल टेनिस, जूडो, तैराकी, तलवारबाजी और रोविंग को शामिल किया जाएगा।

    रिजिजू ने कहा, “ओलंपिक में पदक जीतने (पोडियम हासिल करने के लिए) के लिए एक एथलीट को तैयार करने में कम से कम आठ से 10 साल लगते हैं। उदाहरण के लिए, चीन ने तैराकी (गोताखोरी सहित), निशानेबाजी, भारोत्तोलन, टेबल टेनिस, जिमनास्टिक और मुक्केबाजी में अधिकतम पदक जीते हैं।”

    उन्होंने आगे कहा, “मेरा मानना है कि उन खेलों की पहचान करना आवश्यक है, जिसमें हम ओलंपिक में अच्छा कर सकते हैं। यह भी देखना आवश्यक है कि किस राज्य को कौन सा खेल सबसे ज्यादा सूट करता है और वह एथलीटों को तैयार करने के लिए खुद कितने तैयार है।”

    खेल मंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकारों से इन 14 खेलों में से किसी एक खेल को चुनने और उसे विकसित करने के लिए उनसे संपर्क किया है।

    रिजिजू ने कहा, “हमने राज्य सरकारों से इन 14 खेलों में से किसी एक खेल को चुनने का आग्रह किया है, जिसमें किसी राज्य को लगता है कि वह इस खेल में (किसी भी खेल में) एथलीटों को ओलंपिक के लिए तैयार कर सकता है। केंद्र सरकार प्रत्येक राज्य को प्रत्येक खेलों के लिए धन मुहैया कराएगी।”

    उन्होंने कहा कि राज्य भी इसमें अपना योगदान दे सकते हैं।

    रिजिजू ने कुछ दिनों पहले फिक्की के एक कार्यक्रम में भी भारत को 2024 और 2028 के लिए तैयार करने की बात कही थी। खेल मंत्री ने हालांकि था कि उनका तात्कालिक लक्ष्य 2020 हैं और इन खेलों में भारत के पास अभी तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने का मौका है, लेकिन खेल मंत्री यह भी कहने से नहीं चूके थे कि देश के पास सीमित संशाधन हैं और इसलिए देश को अभी से ही 2024 और 2028 ओलम्पिक की तैयारी करनी चाहिए।

    मंत्री ने कहा था, “हमारा अभी तात्कालिक लक्ष्य टोक्यो ओलम्पिक-2020 में मौजूदा प्रतिभाओं के साथ बेहतर प्रदर्शन करना है। हम रातों-रात चैम्पियन पैदा नहीं कर सकते। यह लंबी प्रक्रिया है, जिसमें कई चीजें शामिल हैं, जिनको साथ आना है। लेकिन हमारे पास अभी मौजूदा प्रतिभाएं बेहद अच्छी हैं। हमें इनका सदुपयोग करना होगा। इसलिए मुझे लगता है कि टोक्यो ओलम्पिक में भारत के पास अपना ओलम्पिक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने का मौका है। मुझे उम्मीद है, लेकिन हमारी कुछ सीमाएं भी हैं।”

    रिजिजू ने कहा था कि भारत के पास 2024 और 2028 में होने वाले ओलम्पिक की तैयारी के लिए पर्याप्य समय है।

    उन्होंने कहा था, “पेरिस ओलम्पिक-2024 और लांस एंजेलिस ओलम्पिक-2028 में हमारे पास और बेहतर करने का मौका होगा। यह अभी आठ साल दूर है, अगर हम उस चीज के लिए तैयार नहीं कर सकते जो आठ साल दूर है तो हमें सिर्फ अपने आप को ही दोषी ठहराना होगा। जो समय हमारे हाथ में उसमें हमें यह साबित करना होगा कि भारत वो देश नहीं है जिसे ओलम्पिक में गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। अगर ओलम्पिक में हमें कुछ पदक नहीं मिलते हैं तो खेल मंत्री के तौर पर मैं बेहद निराश होऊंगा।”

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