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    दो दशक में ऐसा पहली बार होगा जब ओलंपिक खेलों में इक्वेस्टेरियन (घुड़सवारी) में कोई खिलाड़ी भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। एशियाई खेलों में रजत पदक जीत भारत का 36 साल का सूखा खत्म करने वाले फवाद मिर्जा ने आधिकारिक तौर पर टोक्यो ओलंपिक-2020 का टिकट कटा लिया है। वह 20 साल में पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय घुड़सवार होंगे। फवाद इस बात से बेहद खुश हैं कि वह ओलंपिक में भारतीय इक्वेस्टेरियन को कोटा दिला सके।

    फवाद का ओलंपिक खेलना पिछले साल नवंबर में ही तय हो गया था, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा मंगलवार को हुई जब इंटरनेशनल इक्वेस्टेरिन फेडेरेशन (एफईआई) ने अपनी रैंकिंग जारी की। फवाद दक्षिण-पूर्व एशिया-ओसनिया जोन में सबसे ज्यादा ओलंपिक क्वालीफिकेशन अंक हासिल करने वाले राइडर बनकर उभरे और ओलम्पिक कोटा हासिल करने में सफल रहे।

    उनसे पहले भारत के सिर्फ दो घुड़सवार विंग कमांडर आईजे लाम्बा (1996) और इम्तियाज अनीस (2000) ही भारत को इक्नवेस्टेरियन में ओलंपिक कोटा दिला सके थे।

    20 साल के इस सूखे को खत्म कर फवाद काफी उत्साहित हैं। उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि वह ओलम्पिक कोटा हासिल कर गर्व महसूस कर रहे हैं।

    बेंगलुरू स्थित एम्बैसी राइडिंग इंटरनेशनल स्कूल (ईआरआईएस) से निकले फवाद ने कहा, “मैं इस बात से खुश हूं कि भारतीय को इस साल ओलंपिक में जगह दिला सका। मैं वहां भारत का प्रतिनिध्वि करने को तैयार हूं। यह मेरे लिए गर्व की बात है। ओलंपिक क्वालीफाई करना पूरी प्रक्रिया का एक हिस्सा है और अभी कुछ और चीजें बाकी हैं। अभी मुझे एक और क्वालीफिकेशन में हिस्सा लेना है। हम इस बात को सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि ओलंपिक में हम अपनी शीर्ष तैयारी के साथ पहुंचें और अपना सर्वश्रेष्ठ दें।”

    देश के इस उभरते हुए घुडसवार पर एशियाई खेलों के बाद से ही दबावा था। एशियाई खेलों में फवाद ने रजत जीत 36 साल बाद देश को पदक दिलाया था और अब वह ओलम्पिक में भी भारत की बागडोर संभालेंगे। ओलंपिक में खेलने को लेकर जहां अधिकतर खिलाड़ी दबाव के कारण ठंड़े पड़ जाते हैं, वहीं फवाद कहते हैं कि उन्हें दबाव से डर नहीं लगता, क्योंकि वह दबाव पसंद करते हैं।

    27 साल के फवाद ने कहा, “ओलंपिक हर किसी खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ा टूर्नामेंट होता है, चाहे वो किसी भी खेल का हो। बेशक दबाव होगा, लेकिन मुझे लगता है कि दबाव अच्छा होता, यह आपको कड़ी मेहनत करने के लिए विवश करता है, फोकस रखता है।”

    उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि दबाव जरूरी है और मैं इसे अपनी ड्राइविंग फोर्स के तौर पर उपयोग में लेता हूं। दबाव वो चीज है जो मुझे प्रेरित करता है और सुबह बिस्तर से उठ कड़ी मेहनत करने की प्ररेणा देता है और जब मैं अच्छा महसूस नहीं करता हूं तो यह मुझे उस भावना से बाहर निकालने में भी मदद करता है। मुझे दबाव पसंद है और मुझे दबाव चाहिए भी।”

    फवाद ने कहा कि अब जबकि वे ओलंपिक खेलेंगे तो उनकी तैयारियां भी अलग होंगी, खासकर उनके घोड़ों की क्योंकि घुड़सवारी में घोड़े का ठीक होना ज्यादा मायने रखता है।

    फवाद ने कहा, “हां, तैयारियों में अंतर होगा। ओलंपिक एशियाई खेलों से दो-तीन स्तर ऊपर का टूर्नामेंट होता है। यह काफी मुश्किल भी होता है, इसीलिए मेरे साथ घोड़ों की जो तैयारी होगी वो भी काफी अलग होगी। हम देखेंगे, अभी हम आम विंटर ट्रेनिंग कर रहे हैं। घोड़ों को फिट रख रहे हैं, उनकी बेस फिटनेस को मजबूत कर रहे हैं। सीजन के मध्य में हम कुछ शो करेंगे और इसके बाद हम हर अलग घोड़े के लिए नया कार्यक्रम बनाएंगे और आश्वस्त करेंगे कि हर घोड़ा अपनी सर्वश्रेष्ठ स्थिति में हो और अच्छा कर सके।”

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