हिंद महासागर में चीन का मुकाबला करने के लिए भारत अब ओमान की मदद लेगा। भारत ने सोमवार को ओमान के साथ एक महत्वपूर्ण संधि पर हस्ताक्षर किए है। इसके तहत भारत अपने सैन्य जहाजों को रणनीतिक रूप से डुक्म बंदरगाह और सूखी गोदी का उपयोग करते हुए भेजेगा। ओमान का डुक्म बंदरगाह अरब और हिंद महासागर में खुल रहा है।
ईरान में चाबहार बंदरगाह के निकट ही डुक्म बंदरगाह स्थित है। ईरान के अलावा अब भारत ओमान का प्रयोग भी चीन को चुनौती देने के लिए करेगा। हाल ही में पीएम मोदी ओमान यात्रा पर गए थे। वहां पर नरेन्द्र मोदी और ओमान के सुलतान के बीच सैन्य सहयोग पर समझौता हुआ है। समझौते के तहत भारतीय सैन्य जहाजों को डुक्म बंदरगार आवश्यक सहायता उपलब्ध कराएगा।
भारत व ओमान के बीच समझौता होने से चीन में बैचेनी पैदा हो गई है। (भारत-चीन सम्बन्ध)
भारत अब सामरिक रणनीति के तहत चीन को घेरने के लिए ओमान की सैन्य बेस उपयोग मे ले सकता है। जो कि भारतीय सैन्य जहाजों को मदद करेंगे।
इस समझौते से भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का सामना करने में मदद मिलेगी। भारत और ओमान ने आतंकवाद और द्विपक्षीय रक्षा संबंधों के बारे में भी बात की है। इसके अलावा ऊर्जा से संबंधित विषयों, खाद्य सुरक्षा और शिक्षा के बारे में भी चर्चा हुई।
ईरान के चाबहार बंदरगाह भी पाकिस्तान व चीन को चुनौती देने के लिए भारत ने विकसित करवाया है। भारत इसके लिए बड़ी मात्रा मे निवेश कर रहा है।
चाबहार बंदरगाह के जरिए अब भारत सीधे अफगानिस्तान को माल भेज सकेगा। क्योंकि पहले पाकिस्तान बीच में परेशानी पैदा करता था। अब माल भेजने के लिए पाकिस्तान के बंदरगाह की आवश्यकता नहीं होगी।