Fri. Nov 22nd, 2024

    चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रोजेक्ट वन बेल्ट वन रोड़ मामले में अमेरिका ने भारत का समर्थन किया है। अमेरिकी रक्षामंत्री ने कहा है कि किसी भी देश को ऐसे इलाके में निर्माण से बचना चाहिए जो विवादित क्षेत्र हो। ट्रम्प प्रशाशन ने साफ़ तौर पर कहा है की वह विवादित क्षेत्र से होकर गुजरेगा।

    भारत की यात्रा से अमेरिकी रक्षामंत्री जेम्स मैटिस जब अमेरिका पहुंचे तो उन्होंने सीनेट सर्विस कमेटी के सामने कहा कि अब हम एक ग्लोबलाइज़्ड वर्ल्ड में रहते है। जहा पर कई रोड और बेल्ट है। किसी भी देश को एक ही बेल्ट बनवाकर अपनी बात नहीं मनवानी चाहिए।

     

    भारत कर चूका है विरोध

    इसी साल मई महिने मे चीन में ओआरओबी का समिट का आयोजन हुआ था, इस आयोजन का भारत ने विरोध किया था। इसमें 29 देशो के राष्ट्राध्यक्ष, सयुंक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनिओ गुटेरेस, वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टीन लगार्ड के अलावा 130 देशो के अधिकारी, उद्योगपति, फाइनेंसर और पत्रकारों ने हिस्सा लिया था।

    भारत ने इस गलियारे के निर्माण को लेकर विरोध किया था, क्योंकि यह गलियारा पीओके(पाक अधिकृत कश्मीर) से गुजरता है जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है। इस मुद्दे को लेकर भारत ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आपत्ति दर्ज कराई थी। इस मुद्दे पर भारत रूस को भी आपत्ति दर्ज करा चूका है।

     

     

    क्या है चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर

     

    चीन-पाकिस्तान का अर्थिक कॉरिडोर, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से चीन के शिनझियांग को जोड़ने वाले कॉरिडोर की योजना है। यह कॉरिडोर ग्वादर से शुरू होकर काश्गर तक जायेगा। जहा इसकी लम्बाई 2442 किमी है अरबो डालर के इस प्रोजेक्ट में गिलगित-बाल्टिस्तान एंट्री गेट का काम करेगा। चीन इस क्षेत्र में औद्योगिक पार्क, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, रेलवे लाइन और सड़कें बना रहा है। गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के कुछ राज्यों तक रेलवे लाइन व सड़को का काम पूरा हो जाने पर, चीन के कार्गो को पाकिस्तान पहुँचने में सिर्फ 48 घंटे लगेंगे, अभी इसमें 16 से 25 दिन का समय लगता है।

     

    इस परियोजना पर लगभग 46 बिलियन डालर खर्च होने की उम्मीद है, यह गलियारा पाक अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान होते हुए जायेगा। विभिन सूचनाओं के अनुसार यह माना जा रहा है कि ग्वादर बंदरगाह आधुनिक तकनीक से बनाया जा रहा है, कि इसमें लगभग 19 मिलियन टन कच्चे तेल को चीन तक सीधे भेजा जा सकेगा।