ओपन shortest पाथ फर्स्ट यानी कि OSPF को RIP के कुछ limitations कि वजह से बनाया गया था। ये limitation निम्नलिखित थे:
t15 hop count की बंदिश
routing हायरार्की के अंदर नेटवर्क को organise करने में अक्षमता। ये बड़े क्षेत्र के नेटवर्क पर प्रबन्धन और परफॉरमेंस के लिए काफी जरूरी होता है।
नेटवर्क ट्रैफिक में बहुत ही ज्यादा चढ़ाव जो कि बार-बार कुछ ही अंतराल पर routing टेब्स को बार-बार भेजने के कारण होता है।
जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, OSPF एक ऐसा ओपन पब्लिक स्टैण्डर्ड है जिसे काफी बड़े तौर पर इंडस्ट्री में स्वीकार किया गया है।
Ospf इनेबल किये हुए routers एक आइडेंटिफिकेशन मैसेज को भेजकर नेटवर्क की खोज करते हैं और उसके बाद एक ऐसा मैसेज भेजते हैं जो कुछ routing के आइटम्स रखे होते हैं (बजाय routing टेबल्स के)।
ये इस केटेगरी में लिस्ट किया गया एकमात्र स्टेट routing प्रोटोकॉल है।
OSPF की कार्यप्रणाली (working of ospf protocol in hindi)
ये एक लिंक स्टेट प्रोटोकॉल है जिसे इंटीरियर गेटवे प्रोटोकॉल्स परिवार के बीच सबसे ज्यादा प्रसिद्ध माना गया है। इसे 80s के बीच में IETF जो कि एक वोर्किंग समूह है उसके द्वारा विकसित किया गया था।
जब OSPF को कॉन्फ़िगर किया जाता है तब वो पड़ोसियों को सुनता है और सभी लिंक स्टेट डाटा को जमा करता है जिसके द्वारा नेटवर्क के अंदर उपलब्ध सभी के सभी रास्तों का एक टोपोलॉजी नक्शा बनाकर उस सूचना को अपने टोपोलॉजी डेटाबेस में सुरक्षित कर लेता है। इस डेटाबेस को लिंक स्टेट डेटाबेस (LSDB) कहते हैं।
अपने टोपोलॉजी डेटाबेस में जमा की हुई सूचनाओं के बल पर यह सारे उपलब्ध सबनेट या नेटवर्क तक बेस्ट shortest रास्ता चुनता है और उसके लिए जिस अल्गोरिथम का प्रयोग करता है उसे shortest पाथ फर्स्ट अल्गोरिथम (SFP) बोलते हैं। इसे कंप्यूटर वैज्ञानिक Edsger W. Dijkstra द्वारा 1956 में विकसित किया गया था। इसके बाद OSPF तीन टेबल बनाता है जिसमे निम्नलिखित सूचनाएँ रहती है:
Neighbor Table: इसमें उन सारे OSPF पड़ोसियों की सोचना रहती है जिनसे डाटा का आदान-प्रदान किया जाता है।
Topology Table: इसमें नेटवर्क का पूरा का पूरा रोडमैप होता है जिसमे सारे OSPF routers की सूचनाएँ होती है और गणना किये गये सारे बेस्ट रास्ते और वैकल्पिक रास्तों की सूचनाएँ भी होती है।
Routing Table: इसमें अभी के काम कर रहे बेस्ट वोर्किंग पाथ की सूचना रहती है जिसके द्वारा डाटा को ट्रांसमिट किया जा रहा होता है।
शॉर्टेस्ट पाथ फर्स्ट अल्गोरिथम क्या है? (shortest path first algorithm in hindi)
अब हम आपको स्टेप बाई स्टेप कर के बतायेंगे कि कैसे OSPF इस अल्गोरिथम के द्वारा सबसे अच्छे रास्ते का चुनाव करता है:
अपना कार्य शुरू करने के बाद या फिर routing सूचना में किसी भी प्रकार के हुए बदलाव के कारण एक राऊटर एक लिंक स्टेट ad को generate करता है। ये Ad उस राऊटर पर के सारे लिंक स्टेट के कलेक्शन को दिखाता है।
जितने भी राऊटर होते हैं वो सभी flooding की प्रक्रिया द्वारा लिंक-स्टेट का आदान-प्रदान करते हैं। प्रयेक राऊटर को प्राप्त हुए लिंक-स्टेट अपडेट की एक कॉपी अपने डेटाबेस में सुरक्षित रखनी होती है और फिर उस अपडेट को बांकी के routers को भी बताना पड़ता है।
जब सभी राऊटर का डेटाबेस पूरा हो जाता है तब राऊटर सभी के सभी डेस्टिनेशन तक एक shortest पाथ तरी की गणना करता है। इसका लिए राऊटर Dijkstra अल्गोरिथम का प्रयोग करता है। सभी डेस्टिनेशन, उस से सम्बन्धित खर्च और उन तक पहुँचने के लिए अगला hop, इन सभी का routing टेबल के IP को पहचान कर कैलकुलेट किया जाता है।
अगर किसी स्थिति में OSPF नेटवर्क में कोई भी प्रकार के बदलाव नहीं हों; जैसे कि उदाहरण के तौर पर लिंक का कोस्ट का जुड़ना या डिलीट होना, तब OSPF काफी शांत रहता है। किसी भी प्रकार के ऐसे बदलावों को लिंक-स्टेट पैकेट्स द्वारा संचारित किया जाता है। इसके बाद Dijkstra अल्गोरिथम को फिर से कैलकुलेट क्या जाता है ताकि नये सबसे छोटे रास्ते का पता चले।
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बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।