ऑस्ट्रेलिया में सख्त कानून पारित किया गया है जिसके तहत पुलिस के समक्ष नागरिकों के व्हाट्सएप्प चैट और टेलीग्राम चैट देखनी की ताकत होगी। साथ ही पुलिस की मांग पर तत्काल उपयोगकर्ता को अपने फ़ोन को पुलिस को देना होगा।
बिल को लागू करने की जरुरत
ऑस्ट्रेलिया में सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहे, घृणित भाषण और अपराधिक गतिविधियाँ मसलन बाल तस्करी और ड्रग धंधों कीबढ़ने की खबरे आ रही थी।इसी कारण ऑस्ट्रेलिया में यह विवादित एन्क्रिप्शन बिल पारित किया गया था। भारत जैसे देशों में व्हाट्सएप्प की कई अफवाहों के कारण लिंचिंग के कई केस सामने आये थे, नतीजतन सरकार पर कई कड़े कदम उठाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
हालांकि ऑस्ट्रेलिया में नए बिल से निजता के अधिकार की चिंताए बढ़ गयी हैं। ऑस्ट्रेलिया की सरकार कई कंपनी को स्पाईवेयर के निर्माण के लिए मजबूर कर सकती है। प्रस्तावित कानून कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा को हटाने के लिए मजबूर कर सकता है ताकि जांच के दौरान संदिग्ध के यंत्र से सूचनाये निकाली जा सके।
ऑस्ट्रेलिया की सरकार और आलोचक
रिपोर्ट के मुताबिक आलोचक इस बिल की आलोचना करते हुए कह रहे हैं कि यह वैश्विक डिजिटल इकॉनमी के लिए संभावित खतरा और अस्पष्ट है। ख़ुफ़िया और सुरक्षा से सम्बंधित संसदीय जॉइंट कमिटी इस बिल की छानबीन करेगी।
ऑस्ट्रेलिया के अटॉर्नी जनरल क्रिस्चियन पोर्टर ने कहा कि यह कानून आतंकवादियों, तस्करों और अपराधियों को पकद्मे में सुरक्षा एजेंसियों की मदद करेगा। उन्होंने कहा कि 95 प्रतिशत लोगों के संदेशों पर अभी सुरक्षा एजेंसियों ने निगरानी बनाये हुई है। उन्होंने कहा कि निगरानी टीम की जासूसी केवल गंभीर अपराध करने वालों तक ही सीमित होगी, इसका इस्तेमाल आतंवाद और अपराध से सुरक्षा के लिए किया जायेगा।