भारत के अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज एमएस धोनी के साल 2019 की शुरूआत बहुत शानदार रही है। जहां से उन्होने विश्वकप की टीम में जगह बनाने के लिए अपनी सभी चिंताओ को दूर किया है। बात बस, धोनी को एक फिनिशर के रूप में वापस देखने की नही है, पूर्व भारतीय कप्तान एकदिवसीय प्रारूप में नंबर-5 में बल्लेबाजी कर अपने जिम्मेदारियो को भी समझते है। और ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में धोनी की हालिया सफलता में जो एक प्रमुख कारण था, वह था उनके बल्ले से किया गया संशोधन।
12 साल के करियर में धोनी का साल 2018 बेहद बेकार रहा, जहां उन्होने खेली 13 एकदिवसीय इनिंग में 25 की औसत से केवल 275 रन बनाए थे। जिसके बाद उनके अलावा दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत को भी टीम में जगह दी गई और धोनी के विश्वकप के स्पॉट को लेकर कई सवाल खड़े होने लगे, लेकिन इसके बावजूद उनको अपनी टीम के खिलाड़ियो से लगातार समर्थन मिला।
हालांकि, 2019 की शुरूआत से, धोनी ने एक अच्छी वापसी की और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 3 एकदिवसीय मैचो की सीरीज में लगातार 3 अर्धशतक बनाए। उन तीन मैचो की सीरीज के नाम 193 रन थे और उन्हे इसके लिए सात साल बाद मैन ऑफ द सीरीज से भी नवाजा गया था। उनका यह शानदार प्रदर्शन न्यूजीलैंड में भी जारी रहा और दूसरे एकदिवसीय मैच में उन्होने नाबाद 48 रन की पारी खेली थी। उन्होने इस साल अबतक खेली 6 इनिंग में 121 की औसत से 242 रन बनाए है। और 3 टी-20 मैचो में उन्होने 30.50 की औसत से 61 रन बनाए है।
हालाँकि, न्यूजीलैंड में दूसरे टी 20 मैच के दौरान ही ऋषभ पंत की तुलना में धोनी के बल्ले में बदलाव झलक रहा था। धोनी के विलो के नीचे अधिक लकड़ी लग रही थी।
हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में उनकी प्रबंधन टीम के एक सूत्र ने कहा, “उन्होंने अपनी ताकत के क्षेत्रों को सूट करने और गेंदबाजों को निशाना बनाने के लिए उन क्षेत्रों का मुकाबला करने के लिए संशोधन किया है।”
आमतौर पर स्पार्टन ब्रांड के साथ बल्लेबाजी करने वाले धोनी को यूएई में भारत के सफल एशिया कप 2018 अभियान के दौरान भी अपने संशोधित बल्ले के साथ देखा गया था। हालांकि, यह ऑस्ट्रेलिया श्रृंखला के दौरान था कि वह विलो के साथ अपनी कक्षा दिखाने में सफल रहा।
उन्होने कहा, ” मूल रूप से, बल्ले के निचले और पीछे के हिस्से पर अधिक लकड़ी थी। इससे पहले, यह मुख्य रूप से ऐसा नही था। मूल रूप से इस पर यह विचार किया गया था कि आपके पसंदीदा शॉट्स में गेंद के पीछे अधिक लकड़ी हो। तल पर अधिक लकड़ी ऊंचाई बढ़ाने और अधिक शक्ति उत्पन्न करने में मदद करेगी। जब आपका खेल निर्धारित होता है, तो गेंदबाज मुकाबला करने की योजना बनाते हैं और बल्लेबाज को एक नई योजना प्राप्त करनी होती है। या, यह एक विशेष शॉट को बेहतर तरीके से खेलने के लिए हो सकता है।”
बैट निर्माण कंपनी बीएस, जिसने पहले धोनी की मदद की थी, ने इसे सूट की स्थितियों में बदलाव के रूप में देखा।
बीएस के सहयोगी अश्विनी कोहली ने कहा, ” यह विकेट दर विकेट और देश दर देश बदलता है। भारत में वह दूसरे बल्लो का उपयोग करते है, वह यहा भारी बल्ले का उपयोग करते है क्योंकि स्लो पिच पर गेंद स्लो आती है, लेकिन तेज पिचो पर अच्छी टाईमिंग के लिए उन्हें हलके ब्लेडर के बल्लो से बल्लेबाजी करनी होती है। धोनी के बैट का भजन आमतौर पर 1150 ग्राम रहता है।