विषय-सूचि
सिस्टम कॉल: परिचय (system call in operating system in hindi)
कंप्यूटिंग में सिस्टम कॉल एक ऐसा प्रोग्रामेटिक तरीका है जिसके द्वारा कोई कंप्यूटर प्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम (जहां ये एक्सीक्यूट हो रहा है) के कर्नेल से किसी सर्विस का निवेदन करता है।
कुल मिलाकर कहे तो सिस्टम कॉल ही वो तरीका है जिसका प्रयोग कर के कोई प्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम से संवाद करता है।
कोई कंप्यूटर प्रोग्राम सिस्टम कॉल करता है जब वो ऑपरेटिंग सिस्टम के कर्नेल से किसी प्रकार का निवेदन करता है।
सिस्टम कॉल एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफ़ेस (API) के द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम के सर्विस को यूजर प्रोग्राम्स को प्रोवाइड करता है।
सिस्टम कॉल कर्नेल सिस्टम के अंदर जाने का एकमात्र दरवाजा होता है। वो सभी प्रोग्राम जी हे रिसोर्सेज यानी संसाधनों की जरूरत है वो सिस्टम कॉल का प्रयोग करते ही करते हैं।
एप्लीकेशन को डेवेलोप करने वाले लोगों के पास अक्सर सिस्टम कॉल का सीधा एक्सेस नहीं रहता लेकिन आप इन्हें API यानी एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफ़ेस के द्वारा एक्सेस कर सकते हैं।
वो फंक्शन जो API में डाले गये हैं, वही असली सिस्टम कॉल्स को बुलाते हैं। API के प्रयोग से हमे ये फायदे होते हैं:
- पोर्टेबिलिटी: जबतक सिस्टम API को सपोर्ट करता है तब तक कोई भी प्रोग्राम उस API का प्रयोग कर के compile और रन हो सकता है।
- प्रयोग की आसानी: एक्चुअल सिस्टम कॉल को प्रयोग करने से API का प्रयोग करना ज्यादा आसान होता है।
सिस्टम कॉल द्वारा दी जाने वाली सर्विसेज:
- प्रोसेस का बनना और उनका प्रबंधन
- मेन मेमोरी का प्रबन्धन
- फाइल एक्सेस, डायरेक्टरी और फाइल सिस्टम मैनेजमेंट
- डिवाइस हैंडलिंग (I/0)
- सुरक्षा (प्रोटेक्शन)
- नेटवर्किंग.. इत्यादि
सिस्टम कॉल के प्रकार (types of system call in hindi)
- प्रोसेस कण्ट्रोल: एंड, अबो्र्ट, क्रिएट, टर्मिनेट, allocate औरफ्री मेमोरी।
- File management: क्रिएट, ओपन, क्लोज, डिलीट, रीड फाइल इत्यादि।
- डिवाइस प्रबंधन:प्रोसेस को असल में एक्सीक्यूट होने के लिए कई सारे संसाधनों की आवश्यकता होती है और अगर ये संसाधन उपलब्ध हैं तो उन्हें दे दिया जाता है और कण्ट्रोल को यूजर प्रोसेस को वापस कर दिया जाता है। इन रिसोर्सेज को devices की तरह देखा जाता है। इनमे कुछ फिजिकल होते हैं, कुछ विडियो कार्ड होते हैं और कुछ abstract हो सकते हैं जैसे कि फाइल।यूजर प्रोग्राम डिवाइस को निवेदन करता है और जब काम खत्म हो जाता है तब वो डिवाइस को रिलीज़ कर देता है। ऐसे ही फाइल्स में रीड, वृत्व और रिपोजीशन टू डिवाइस की प्रक्रिया होती है।
- सूचना मेंटेनेंस: इंटरप्रोसेस कम्युनिकेशन के दो मॉडल होते हैं जिनका विवरण नीचे दिया गया है:
- मैसेज पासिंग मॉडल जो एक कॉमन मेलबॉक्स का प्रयोग कर के प्रोसेसर के बीच मैसेज पास करता है।
- शेयर्ड मेमोरी जो कुछ निश्चित सिस्टम कॉल का प्रयोग कर के दूसरे प्रोसेस के मेमोरी के क्षेत्रों का क्रिएट और गेन एक्सेस पता है। दो प्रोसेस शेयर्ड डाटा को रीड और राईट कर के एक-दूसरे सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।
सिस्टम कॉल के उदाहरण (examples of system call in hindi)
हम यहाँ आपको विंडोज और यूनिक्स के कुछ सिस्टम कॉल को नीचे की तालिका के माध्यम से समझाने जा रहे हैं:
विंडोज | यूनिक्स | |
---|---|---|
प्रोसेस कण्ट्रोल | CreateProcess() ExitProcess() WaitForSingleObject() | fork() exit() wait() |
फाइल मैनीपुलेशन | CreateFile() ReadFile() WriteFile() CloseHandle() | open() read() write() close() |
डिवाइस मैनीपुलेशन | SetConsoleMode() ReadConsole() WriteConsole() | ioctl() read() write() |
इनफार्मेशन मेंटेनेंस | GetCurrentProcessID() SetTimer() Sleeo() | getpid() alarm() sleep() |
कम्युनिकेशन | CreatePipe() CreateFileMapping() MapViewOfFile() | pipe() shmget() mmap() |
प्रोटेक्शन | SetFileSecurity() InitlializeSecurityDescriptor() SetSecurityDescriptorGroup() | chmod() umask() chown() |
सिस्टम कॉल के पैरामीटर्स (parameters of system call in hindi)
ऑपरेटिंग सिस्टम में पैरामीटर पास करने के तीन प्रमुख मेथड होते हैं:
- पैरामीटर्स को रेगिस्तेर्स में पास किया जा सकता है।
- अगर रजिस्टर से ज्यादा पैरामीटर्स हो तो उन पैरामीटर्स को ब्लाक में स्टोर किया जा सकता है और उस ब्लाक एड्रेस को को पैरामीटर के रूप में रजिस्टर को पास किया जा सकता है।
- पैरामीटर को ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा पुश ऑन और पॉप ऑफ स्टैक भी किया जा सकता है।
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