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    एप डेवलपमेंट app development in hindi

    विषय-सूचि

    ऐप डेवलपमेंट क्या है? (what is app development in hindi)

    आप अपना फ़ोन इस्तेमाल करते हुए कई सारे ऐप का उपयोग करते होंगे। पर कभी सोचा है ये ऐप कैसे बनते हैं? आज हम आपको बताएँगे की ऐप डेवलपमेंट क्या है और कैसे करें।

    ऐप डेवलपमेंट ऐप को बनाने का प्रोसेस है। इसमें आप प्लेटफार्म के हिसाब से डेवलपिंग कर सकते हैं। अगर आप एंड्राइड के लिए ऐप बनाना चाहते हैं तो आपको प्रोगरामिंग लैंग्वेज जैसे जावा और C ++ का आना जरुरी है।

    आप बिना प्रोगरामिंग के भी ऐप बना सकते हैं।

    ऐसी कई सारी वेबसाइट मौजूद हैं जो आपको बिना किसी प्रोगरामिंग की जानकारी के भी ऐप बनाने की सुविधा देती है। आप अगर अपने ऐप को अपने हिसाब से अनुकूलित करना चाहते हैं तो आप एक अच्छे डेवलपर को हायर कर सकते हैं।

    ऐप बनाने के लिए क्या करें? (how to make app in hindi)

    स्टेप 1

    • ऐप शुरू करने से पहले आप सोच ले की आपका ऐप लोगों को किन परेशानी का समाधान होगा।

    आपका ऐप लोग तब तक इस्तेमाल नहीं करेंगे जब तक उनका कोई फायदा न हो। आप उनको फायदा उनकी परेशानी को आसान या उसका हल देकर पहुंचा सकते हैं।

    • अपने ऐप के फीचर तय कर लें।

    ऐप बनाने से पहले उसमे होने वाले फीचर भी तय कर लें। और ये भी देखें आपके प्रतिस्पर्धी क्या क्या फीचर उपलब्ध करवा रहे हैं और आप क्या नया दे सकते हैं।

    स्टेप 2

    • अब आप अपने टारगेट ऑडियंस को पहचान लीजिये।

    आप जब कोई भी एप्लीकेशन बना रहे हैं तो आपको उससे पहले ये तय कर लेना चाहिए की आप ये ऐप किस के लिए बना रहे हैं। अपने टारगेट ऑडियंस को अच्छी तरह समझ लेना जरुरी है।

    • ये सुनिश्चित कर लें की आप का एप्लीकेशन किस प्लेटफार्म के लिए होगा।

    एप्लीकेशन बनाने से पहले ये सुनिश्चित कर लें की आप ये किस प्लेटफार्म के लिए बना रहे हैं। जरुरी नहीं आप किसी एक प्लेटफार्म के लिए ही एप्लीकेशन को बनाये। एक बार एक प्लेटफार्म पर बना कर आप दूसरे प्लेटफार्म पर भी अपना ऐप बनवा सकते हैं। ध्यान रहे ऑपरेटिंग सिस्टम के हिसाब से प्रोगरामिंग का तरीका भी बदल जायेगा।

    • आप ये भी तय कर लें की आपका एप्लीकेशन किन डिवाइस को सपोर्ट करेगा।

    आप का ऐप कौन से डिवाइस को सपोर्ट करेगा ये जरूर सुनिश्चित कर लें। हो सकता है आपका ऐप पुराने एंड्राइड या आई फ़ोन के पुराने वर्जन पर बेहतर तरीके से काम न कर पाए।

    • अपने एप्लीकेशन के लिए रेवेन्यू मॉडल भी तय कर लें।

    ऐप को चलने के लिए रेवेन्यू की जरुरत तो पड़ेगी , इसलिए आप ये भी तय कर लें की आपका ऐप रेवेन्यू कहाँ से कमायेगा। इसके भी बहुत सारे तरीके होते हैं।

    कई ऐप तो सिर्फ पैसे से ही डाउनलोड किये जा सकते हैं तो किसी में ऐप के अंदर कुछ परचेस करना पड़ता है। ऐप में सब्सक्रिप्शन से भी रेवेन्यू जेनरेट किया जा सकता है। अगर आप सारी सुविधाएँ फ्री में देना चाहते हैं तो भी आप विज्ञापन से पैसे कमा सकते हैं।

    स्टेप 3

    • अपने एप्लीकेशन को डिज़ाइन करें।

    जब आप अपने ऐप को डिज़ाइन करेंगे तो ये ध्यान रखें की आपका ऐप मुश्किल नहीं होना चाहिए।

    आज कल लोग यूजर इंटरफ़ेस पर बहुत खर्चा करते हैं ताकि उनके कस्टमर्स को आसान और लुभावनिय इंटरफ़ेस मिल सके। इसी से ज्यादातर ऐप को पसंद या नापसंद किया जाता है।

    स्टेप 4

    • ऐप की अप्प्रोच तय कर लें

    नेटिव अप्प्रोच: इस अप्प्रोच के अंतर्गत आपके ऐप को बनाने में ज्यादा खर्च और बेहतर प्रोग्रामिंग की आवश्यकता होगी। इसमें लोगों का यूजर एक्सपीरियंस काफी बेहतर होता है। ज्यादातर बढियाँ ऐप्स इसी अप्प्रोच पर बनाये जाते हैं। उदाहरण – पोकेमोन गो

    वेब अप्प्रोच: इस तरह की अप्प्रोच काफी तेज़ और सस्ती होती है। इसे बनाने के लिए जावास्क्रिप्ट HTML5 और CSS की जरुरत होती है। इसका यूजर इंटरफ़ेस नेटिव ऐप्स के मुकाबले कमजोर होता है। उदाहरण: जीमेल और ट्विटर।

    हाइब्रिड अप्प्रोच: इस तरह की अप्प्रोच में आपको नेटिव और वेब दोनों तरह का कॉम्बिनेशन इस्तेमाल करना पड़ता है। आज कल ये बहुत ट्रेंड में है। इसे किफायती और बेहतरीन एक्सपीरयंस के लिए उपयोग में लिए जाता है।        उदाहरण: पेटीएम

    स्टेप  5

    • प्रोटोटाइप डेवेलोप कर ले।

    अप्प्रोच तय करने के बाद्द अगला चरण है प्रोटोटाइप डेवेलोप करने का। यह वास्तव में आपके विचार को लेने और इसे कुछ बुनियादी कार्यक्षमताओं के साथ एक एप्लिकेशन में बदलने की प्रक्रिया है।

    एक प्रोटोटाइप संभावित खरीदारों को अपना विचार बेचने में काफी आसान बनाता है। यह निवेशकों को आकर्षित करने और निर्माताओं के साथ काम करने और लाइसेंसधारकों को खोजने में काफी मददगार होता है।

    स्टेप 6

    • एनालिटिक्स टूल को इंटिग्रेटे करें।

    ये एक बहुत ही बढ़िया तरीका है अपने विजिटर्स के बारे में जानकारी रखने का। आप इससे ये जान पाएंगे की आपके ऐप में कितनी बार कौन कौन और कब आता है।

    स्टेप 7

    • बीटा परिक्षण

    बीटा परीक्षण आपके टारगेट ऑडियंस से प्रतिक्रिया प्राप्त करने का पहला अवसर होता है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐप स्टोर में आपकी दृश्यता को बढ़ाता है। यह न केवल उत्पाद जोखिम को कम करता है बल्कि आपको ऐप स्टोर में प्रारंभिक लाभ देता है।

    स्टेप 8

    • ऐप लॉन्च

    बीटा परिक्षण में निकली कमियों के बाद आप ऐप लॉन्च कर सकते है। अभी भी एक बात का ध्यान रकना बेहत जरुरी है सभी बदलाव ठीक तरीके से किये गए हैं और क्या ऐप सही तरीके से काम कर रहा है। जैसे ही ये सुनिश्चित हो जाये आप ऐप को लॉन्च कर सकते हैं।

    स्टेप 9

    • परफॉरमेंस रिकॉर्ड करें

    ऐप के लांच होने के बाद किसी भी मेज़रमेंट टूल की सहायता से अपने ऐप की परफॉरमेंस नापें। अब आप इन संदेशों से आने वाले समय में इसमें जरुरत अनुसार बदलाव कर सकते हैं।

    स्टेप 10

    • अपग्रेड करें।

    अपने ऐप को परफॉरमेंस से मिली जानकारी और लोगों के सुझाव के साथ साथ इम्प्रूव करते रहना चाहिए। आप कुछ नया फीचर आदि देने के लिए भी ऐप को अपग्रेड कर सकते हैं।

    अगर आपका इस लेख से सम्बंधित कोई भी सवाल या सुझाव है तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं।

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    2 thoughts on “ऐप डेवलपमेंट क्या होता है? कैसे करें और टिप्स”
    1. local service app(apne shahar mai food service dene k liye) banana hai kese banta hai please muje batao mai hi bana sakta hoo yaa banbahoo to kese or kon banata hai kitne rupay lagte hai

    2. Thankyou for this useful and informative article. Visit our website too. We provide best digital marketing services in Lucknow.

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