भारत ने रूस के साथ एस 400 सुरक्षा प्रणाली का सौदा पर हस्ताक्षर किए हैं जिस पर अमेरिका ने प्रतिबंध थोप रखे है। भारत चाहता है कि अमेरिका उन्हें इस सुरक्षा प्रणाली को खरीदने में रियायत बरते। भारत ने सैन्य अभियान के द्वारा अमेरिका को समझाने का प्रयत्न किया है कि वह इस सुरक्षा प्रणाली को खरीदने के लिए उन पर प्रतिबंध न लगाएं।
सूत्रों के मुताबिक भारत को विश्वास है कि अमेरिका रूस से हथियार खरीदने में अड़ंगा नहीं लगाएगा और भारत किसी देश की सैन्य सूचना को किसी तीसरी पार्टी के साथ साझा नहीं करेगा।
सेना के वरिष्ठ अधिकारी आईएएफ के अधिकारी एयर मार्शल आर नाम्बियार ने अगस्त में अमेरिका का दौरा किया था साथ ही सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी अमेरिका गए थे। भारत अमेरिका के समक्ष एस 400 सुरक्षा प्रणाली को खरीदने के लिए उचित तर्क रख रहा है।
भारत ने कहा है कि यह मिसाइल राष्ट्र सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अलबत्ता अब यह पूरी राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि वह भारत को रियायत दे या अमेरिकी कानून कासटा के तहत नई दिल्ली पर प्रतिबंध लगाए। यह कानून उन देशों के लिए मान्य है जो रूस से हथियार या ईरान से तेल का सौदा करेंगे।
भारत ने अमेरिकी रक्षा प्रणाली एफ- 35 के सौदे में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। हालांकि भारत के पास अमेरिका के कई रक्षात्मक हथियारों का जखीरा है। हाल ही हुई 2+2 वार्ता के दौरान अमेरिका और भारत ने कम्युनिकेशन्स कॉम्पतिबलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट पर दस्तखत किए थे।
इस वार्ता में शरीक हुए रक्षा सचिव जैम मैटिस और राज्य सचिव माइक पोम्पेओ ने भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कासटा कानून से रियायत देने की बात कही थी।
पिछले माह अमेरिका ने चीनी की मिलिट्री पर कासटा के तहत प्रतिबंध लगाए थे। चीन ने रूस से एस 400 और सुखोई लड़ाकू विमान खरीदा था। जो सरासर कासटा कानून का उल्लंघन था।