भारत और रूस के मध्य एस-400 रक्षा प्रणाली के सौदे पर हस्ताक्षर हो गए हैं। भारत के आर्मी प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बयान दिया कि भारत को रूस से हथियार सौदेबाज़ी पर अमेरिका के प्रतिबंधों का भय जरूर था लेकिन नई दिल्ली स्वतंत्र नीति के साथ चलती है।
जनरल रावत ने कहा कि नई दिल्ली मास्को से कमोव विमान और हथियारों का भी सौदा करेगी।
भारत-रूस संबंध को मजबूती देते हुए दोनों देशों ने 19वें शिखर सम्मलेन के दौरान नई दिल्ली में एस- 400 रक्षा प्रणाली पर मोहर लगा दी थी। रूस से हथियार या उपकरण खरीदने पर अमेरिका ने पाबन्दी लगा रखी है।
यदि कोई देश अमेरिका के प्रतिबंधों का उल्लंघन करके मास्को से सौदेबाज़ी करता है तो वांशिगटन उस राष्ट्र पर कासटा(काउंटरिंग अमेरिका एडवायजरी थ्रू सेंक्शन) के तहत प्रतिबन्ध लगा सकता है।
अमेरिका ने कासटा कानून ईरान, रूस और उत्तर कोरिया पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए बनाया था। जनरल रावत छह दिन की रुसी यात्रा से वापस लौटे हैं। वह रुसी सरकार के साथ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए मास्को गए थे।
उन्होंने कहा कि रुसी भारतीय आर्मी और रक्षा फौज का सहयोग करने के इच्छुक है। उन्होंने कहा कि रूस को मालूम है कि भारतीय आर्मी मज़बूत, राष्ट्रहित के लिए अडिग और रणनीतिक विचारधारा की है।
अमेरिका के भारत पर प्रतिबन्ध के बाबत जनरल रावत ने बताया कि वांशिगटन नई दिल्ली पर प्रतिबन्ध थोप सकता था लेकिन वह सराहना करना चाहते हैं कि उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह साफ़ है कि ऐसा करने से भारत अमेरिका संबंधों पर खतरा पड़ सकता था।
उन्होंने किया कि वह अमेरिका के साथ भी तकनीक के लिए सौदा करेंगे। भारत स्वतंत्र नीति के साथ चलेगा। उन्होंने कहा इस सौदे पर हस्ताक्षर करने के कारण भारत को भविष्य में अमेरिका की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
जनरल बिपिन रावत ने कहा भारत अन्य देशों के साथ सहयोग कर रहा है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रहित की बेहतरी और मत्वपूर्ण रणनीतियों को देखते हुए कार्य करना चाहिए जो आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।