संघाई सहयोग संगठन में शरीक होने के लिए भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गुरूवार को तज़ाकिस्तान की राजधानी दुशांबे पहुंची। यहाँ आज बैठक के दौरान सुषमा स्वराज नें अपने भाषण में कहा कि आतंकवाद एक ऐसा मुद्दा है, जो पुरे विश्व के लिए खतरा है।
सुषमा नें इसके अलावा सीपीईसी पर सवाल उठाते हुए कहा कि किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य विवादित इलाके में नहीं होना चाहिए। जाहिर है सीपीईसी चीन और पाकिस्तान की योजना है जो पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है।
इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि भारतीय विदेश मंत्री एससीओ की बैठक के लिए तज़ाकिस्तान पहुंच चुकी हैं। उन्होंने बताया कि अगले दो दिनों में विदेश मंत्री एससीओ की बैठक में शिरकत करेंगी साथ ही अन्य राष्ट्रों के साथ द्विपक्षीय वार्ता और तज़ाकिस्तान में रह रहे भारतीयों को भी सम्बोधित करेंगी।
इस बैठक में सभी मंत्री सीरिया, अफगान और कोरियाई पेनिनसुला के हालातों का जायजा लेंगे। एससीओ की साल 2017 में सदस्यता ग्रहण करने के बाद भारत दूसरी बार इस बैठक में सम्मिलित हुआ है।
भारत साल 2005 से एससीओ पर नज़र बनाये हुए था और मंत्रिमंडल के स्तर पर होने वाली बैठकों में शामिल होता रहा था। भारत का इस बैठक में मुख्य बिंदु सदैव यूरेशियन क्षेत्र में आर्थिक और सुरक्षा सहयोग रहा है।
एससीओ चीन के प्रभाव वाला संघ है। भारत के साथ ही पाकिस्तान को भी गत वर्ष इस संघठन की सदस्यता प्राप्त हो गयी थी।
एससीओ की स्थापना साल 2001 में हुई थी। संघाई में हुए इस सम्मलेन में रूस, चीन, कज़ाकिस्तान, तजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और किर्गीज़ गणराज्य के राष्ट्रपति शामिल हुए थे।
इस संघठन में आठ सदस्य देश शामिल है जो विश्व की लगभग 42 फीसदी जनसंख्या है। वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का यह जनसँख्या 20 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करती है।
चीन के क्विन्डाओ में हुए इस शिखर सम्मलेन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते जून को शिरकत की थी।