वियतनाम में हाल ही में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें करीब 21 सदस्यीय देशों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। एपेक एक ऐसा आर्थिक मंच है जहां पर प्रशांत महासागरीय देशों के बीच में व्यापार को अधिक मुक्त, समृद्ध व आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाता है।
एपेक की स्थापना साल 1989 में हुई थी। एपेक में एशिया-प्रशांत के देशों के बीच व्यापारिक निर्भरता को बढ़ाने की कोशिश की जाती है। हर साल एपेक सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। अबकी बार वियतनाम में इस सम्मेलन को आयोजित किया गया।
एपेक के उद्देश्य
एपेक का मुख्य उद्देश्य एशिया-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में शामिल देशों के बीच में व्यापारिक विश्वास व बहुपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना है। एपेक की कोशिश रहती है कि इसमें शामिल देशों को आर्थिक समस्या और व्यापार व निवेश की बाधा न हो।
साथ ही इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न देशों के बीच में व्यापारिक मतभेदों व समस्याओं को दूर करना भी होता है। ये सभी सदस्यीय देशों को साथ लेकर व्यापार करने में विश्वास रखता है।
उद्योगों व क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देना इसका मुख्य कार्य है। इसके अलावा यह संतुलित, समावेशी, अभिनव और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए इन प्रशांत महासागरीय देशों के बीच में तालमेल स्थापित करने का काम करता है।
एपेक के सदस्य देश
- ऑस्ट्रेलिया
- ब्रुनेई
- कनाडा
- इंडोनेशिया
- जापान
- दक्षिण कोरिया
- मलेशिया
- न्यूजीलैंड
- फिलीपीन्स
- सिंगापुर
- थाइलैंड
- अमेरिका
- ताइवान
- हांगकांग
- चीन
- मैक्सिको
- पापुआ
- चिली
- पेरू
- रूस
- वियतनाम
ये 21 देश एपेक के सदस्यीय देशों में शामिल है।
एपेक में शामिल होने वाले देश
एपेक में वर्तमान में 21 देश शामिल है। इनके अलावा अन्य कई देशों ने भी एपेक की सदस्यता के लिए आवेदन कर रखा है। इन देशों में प्रमुख रूप से भारत के साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मकाऊ, मंगोलिया, कोलंबिया, लाओस, कोस्ता रीका, पनामा, ईक्वाडोर शामिल है।
भारत
प्रमुख रूप से भारत ने एपेक में अपनी सदस्यता के लिए अनुरोध कर रखा है। अमेरिका भी एपेक में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन करता है। अमेरिका के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया भी भारत के शामिल होने पर सहमत है।
अभी तक भारत को इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि एपेक अधिकारियों का मानना है कि भारत प्रशांत महासागर की सीमा में नहीं आता है। हालांकि भारत को नवंबर 2011 में पहली बार एक पर्यवेक्षक के रूप में आमंत्रित किया गया था।
हाल ही में वियतनाम में हुए एपेक सम्मेलन में ट्रम्प ने भी भारत के शामिल करने की पुरजोर मांग की है। क्योंकि भारत एपेक के कई देशों के साथ व्यापार करता है। साथ ही दक्षिणी चीन सागर विवाद सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका को अदा किया था। जिसके मद्देनजर भारत के एपेक में शामिल होने की पूरी संभावना है।