चीन अपनी महत्वकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को पूर्ण करने के लिए विकासशील देशों में निवेश कर उन्हें कर्ज के जाल में फंसा रहा है।
अमेरिका के रक्षा सचिव जेम्स मैटिस ने कहा कि एशिया और इंडो-पैसिफिक के देश अमेरिका के साथ समझौता करना चाहते हैं क्योंकि वह चीनी कस बढ़ते कर्ज से परेशान है।
यूएस इंस्टिट्यूट ऑफ़ पीस को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि अमेरिका चीन के साथ सहयोग करने के तैयार बशर्ते वो अंतर्राष्ट्रीय जल पर स्वतंत्र नौकाचालन का समर्थन करे। जेम्स मैटिस ने कहा कि दो सप्ताह पूर्व मैं सिंगापुर की यात्रा से वापस लौटा था, वहां कई राष्ट्रों ने मुझसे कहा था कि वो चीन की गतिविधियों से परेशान है।
उन्होंने कहा कि श्रीलंका के साथ क्या हुआ ये सभी देख सकते हैं, उनका बंदरगाह उनसे छीन लिया गया था। उन्होंने कहा कि दुनिया में चीन तीसरा सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि हम कैसे खतरों का आंकलन करते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका खतरे का अंदाज़ा तीन मनको से लगाता है ताकत, तत्परता और इच्छा।
जेम्स मैटिस ने कहा कि मैं पिछले दस सालों से रूस और उसके परमाणु हथियारों के कारखानों को देख रहा हूँ, जॉर्जिया से क्रीमिया के युद्द तक और सीरिया में उल्लंघन तक को देखता आ रहा हूँ। उन्होंने कहा कि रूस केवल ताकत का इस्तेमाल करता रहा है।
तत्परता के बाबत जेम्स मैटिस ने बताया कि उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम ने साफ़ तौर पर अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है। उत्तर कोरिया शांति और स्थिरता के लिए खतरा है। जेम्स मैटिस ने कहा कि इच्छा में चीन की इच्छा सबसे तीव्र है। उन्होंने कहा चीन रूस से अलग है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि रूस अन्य राष्ट्रों से असुरक्षा होने पर रूस अपने इलाके में सुरक्षा घेरा बना देता था। रूस अपने इलाके से जुड़े मुद्दों आर्थिक, कूटनीतिक और सुरक्षा निर्णय पर अन्य राष्ट्र विभागों से वीटो का इस्तेमाल चाहता था। लेकिन चीन इससे भिन्न है। अमेरिका चीन के साथ काम करने की नीति तलाश रहा है।