मोदी सरकार जल्द ही लिक्विफाइड लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमतों में हर महीने होने वाली बढ़ोतरी को रोक सकती है। अब शायद सरकार ऐसा सोच रही है कि एलपीजी गैस की कीमतों में हर महीने वृद्धि उज्जवला स्कीम के ठीक विपरीत है, जहां गरीबों को खाना बनाने के लिए मुफ्त गैस कनेक्शन बांटे जा रहे हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अक्टूबर से तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने एलपीजी दरों में वृद्धि नहीं की है।
तेल विपणन कंपनियों ने हर महीने बढ़ाया दाम
हर महीने एलपीजी की कीमतें बढ़ाने की सरकार की योजना के तहत तेल विपणन कंपनियों ने शुरू में 2 रुपये प्रति सिलेंडर और मई 2017 से प्रत्येक माह 3 रुपये की वृद्धि की। सरकार इस कदम के जरिए यह चाहती थी कि मार्च 2018 तक एलपीजी सिलेंडर पर लगने वाले सब्सिडी को समाप्त कर दिया जाए।
गौरतलब है कि सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने पिछले महीने औसत तेल कीमत तथा विदेशी मुद्रा दर को ध्यान में रखते हुए एलपीजी तथा विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) की कीमतों में बढ़ोतरी की।
देश में एलपीजी सब्सिडी वाले उपभोक्ता
भारत में एलपीजी सब्सिडी लेने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 18.11 करोड़ के आसपास है। जबकि इनमें से 3 करोड़ से अधिक गरीब महिलाएं जो प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत एलपीजी सब्सिडी का लाभ उठाती हैं। इसके अलावा गैर सब्सिडी वाले एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या करीब 2.66 करोड़ है।
आपको बता दें कि पिछले साल केंद्र सरकार ने तेल विपणन कंपनियों को हर महीने एलपीजी सब्सिडी कीमतों में बढ़ोतरी करने के निर्देश जारी किए थे। पिछले 17 महीनों में सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की कीमतों में कुल 76.51 रूपए से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। सब्सिडी दर पर हर घर को साल में 14.2 किलो वाले 12 सिलेंडर दिए जाने की अनुमति है।
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना (डीबीटी)
एलपीजी सब्सिडी पैसे की चोरी रोकने के लिए मोदी सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना (डीबीटी) लागू की है। दरअसल डीबीटी योजना का उद्देश्य कल्याणकारी फंडों में भ्रष्टाचार की जाचं करना है, जिसे 1 जनवरी 2013 को यूपी सरकार ने शुरू किया था।
इस योजना के तहत मनेरगा तथा एलपीजी सब्सिडी के पैसे उपभोक्ताओं को सरकार सीधे उनके खाते में भेजती है। मनरेगा तथा एलपीजी सब्सिडी योजना जैसी कुल 400 जन कल्याणकारी योजनाएं जिसे सरकार ने डीबीटी स्कीम के तहत जोड़ रखा है।
सब्सिडी का पैसा सीधे उपभोक्ताओं के खाते में
अब सब्सिडी का पैसा सीधे एलपीजी उपभोक्ताओं के बैंक खाते में भेज दिया जाता है। डीबीटी स्कीम के चलते मोदी सरकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को संचालित करने में सफल रही है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकार 84,802 करोड़ रुपए एलपीजी सब्सिडी के रूप में उपभोक्ताओं के खाते में भेज चुकी है।
जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 74,707 करोड़ रुपए एवं वित्तीय साल 2015-16 के दौरान कुल 61942 करोड़ रूपए एलपीजी सब्सिडी की राशि कंज्यूमर्स के खाते में सीधे हस्तांतरित की गई थी।