नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)| गैस आधारित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के मकसद से नई सरकार तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) पर सीमा शुल्क 2.5 फीसदी से घटाकर शून्य कर सकती है। यह बात आधिकारिक सूत्रों ने बताई।
सूत्रों के अनुसार, सरकार बिजली की लागत में कटौती के अलावा नगर गैस वितरण (सीजीडी) में विस्तार और उर्वरक उत्पादन को बढ़ावा दे सकती है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उनको उम्मीद है कि इस साल जुलाई में संसद में पेश होने वाले केंद्रीय बजट 2019-20 के प्रस्तावों में इस कटौती को शामिल किया जा सकता है।
इस विषय में वित्त मंत्रालय के साथ पहले ही विचार-विमर्श हो चुका है।
एलएनजी एक स्वच्छ ईंधन है और वर्तमान में इसके आयात पर 2.5 फीसदी मूल (बेसिक) सीमा शुल्क लगता है। इसके अलावा, इस पर सामाजिक कल्याण अधिशुल्क 10 फीसदी लगता है, जिसके बाद प्रभावी सीमाशुल्क 2.75 फीसदी हो जाता है। इससे आयातित गैसे की लागत बढ़ जाती है क्योंकि एलएनजी को पुन: गैस में परिवर्तित करने और इसके परिवहन पर भी अतिरिक्त लागत आती है।
केंद्रीय बजट 2017-18 में एलएनजी पर शुल्क में आधाी कटौती करके इसे पांच फीसदी से 2.5 फीसदी कर दिया गया था।
उद्योग और पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा काफी समय से एलएनजी को शुल्क मुक्त करने की मांग की जा रही है क्योंकि इसके घरेलू उत्पादन का अभाव है।
केंद्र सरकार ने घरेलू बिजली उत्पादकों को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल के लिए बिना किसी शुल्क का भुगतान किए एलएनजी का आयात करने की छूट दे दी है। हालांकि, इसका उपयोग करने वाले उद्योग के विशाल वर्ग को इस राहत से वंचित रखा गया है, जिनमें उर्वरक, एलपीजी, सीएनजी, पीएनजी और पेट्रोकेमिकल शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि इसलिए सभी गैस उपयोगकर्ताओं के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए इस साल इसमें इसे सही किया जा सकता है।
सरकार के एक सूत्र ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा, “घरेलू उत्पादन से गैस की मांग पूरी नहीं हो सकती है। इसलिए अंतिम उपयोग का प्रतिबंध लगाए बगैर एलएनजी के निशुल्क (सीमाशुल्क) इस्तेमाल की इजाजत देने की सख्त जरूरत है।”
एलएनजी सस्ती होगी तो बिजली का शुल्क कम होगा और सरकार उर्वरक अनुदान में कटौती कर सकती है क्योंकि इसके बाद उत्पादन लागत कम हो जाएगी।