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    अनिल अंबानी

    स्वीडिश स्मार्टफोन निर्माता एरिक्सन ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान रिलायंस पर आरोप लगाया की उनके पास राफेल में निवेश करने के लिए करोड़ों रूपए हैं लेकिन एरिक्सन का 550 करोड़ का कर्ज चुकाने के लिए रूपए नहीं है।

    अनिल अंबानी ने बताई यह वजह :

    इस आरोप के प्रत्युत्तर में अनिल अंबानी ने जवाब दिया की कर्ज चुकाने के लिए राशी उन्हें उस समय होने वाली जिओ की डील से मिलने वाली थी लेकिन किन्हीं कारणों के चलते वह डील नहीं हो पायी थी इस कारण से वह एरिक्सन का कर्ज नहीं चूका पाए।

    नहीं हो पायी जिओ के साथ डील :

    उन्होंने बताया की पिछले वर्ष उनकी जिओ से 18000 करोड़ की डील होने वाली थी जिससे वे टेलिकॉम डिपार्टमेंट का 5000 करोड़ का ऋण चूका पाते और इसके साथ साथ एरिक्सन के 500 करोड़ के ऋण का भी भुगतान कर देते लेकिन टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने इस डील को मंजूरी नहीं दी और 5000 करोड़ का बकाया कर्ज पहले भुगतान करने को कहा। पूरी कोशिश करने के बाद भी उन्हें यह सौदा करने की मंजूरी नहीं मिल पायी अतः वे ऋण चुकाने में असफल रहे और नकदी की कमी के चलते उन्हें दिवालिया घोषित करना पड़ा।

    एरिक्सन का कोर्ट में बयान :

    एरिक्सन ने दावा किया कि आरकॉम ने शीर्ष अदालत के दो आदेशों का उल्लंघन करते हुए और निदेशकों और अंबानी द्वारा दिए गए उपक्रमों के लिए प्रतिबद्ध नहीं होकर घोर और दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया।

    एरिक्सन के प्रवक्ता ने कहा की हम अंतर्राष्ट्रीय व्यापारी है और भारत में व्यापार करने आये हैं। हम भारत में नवीनतम तकनीकें लेकर आये हैं लेकिन यदि हमारे व्यवसाय में हमारे साथ ऐसा होगा तो हम यहाँ व्यापार नहीं कर पाएयंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया “इनके(रिलायंस) के पास राफेल में निवेश करने के लिए करोड़ों रूपए हैं लेकिन हमारा 550 करोड़ रूपए का कर्ज चुकाने के लिए नहीं है।”

    रिलायंस का बयान :

    इस पर रिलायंस के प्रवक्ता बोले “रिलायंस कम्युनिकेशंस के निदेशक मंडल ने एनसीएलटी के माध्यम से ऋण समाधान योजना लागू करने का निर्णय किया है। कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने शुक्रवार को कंपनी की कर्ज निपटान योजना की समीक्षा की। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने पाया कि 18 महीने गुजर जाने के बाद भी संपत्तियों को बेचने की योजनाओं से कर्जदाताओं को अब तक कुछ भी नहीं मिल पाया है।”

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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