मंगलवार को एरिक्सन इंडिया ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में अनिल अंबानी के खिलाफ एरिक्सन का पिछला कर्ज न चुकाने और कोर्ट के निर्देशों का पालन न करने के इलज़ाम लगाए हैं और सम्पत्ति जब्त करने की अर्जी लगाईं है।
एरिक्सन ने यह मत पेश किया है की कोर्ट के निर्देशों का पालन न करने और बकाया कर्ज ना चूका पाने के कारण अनिल अंबानी की निजी संपत्ति को भी जब्त किया जाना चाहिए और इसे कर्ज को चुकाने में प्रयोग किया जाना चाहिए।
एरिक्सन ने इससे पहले किया था रिलायंस को दिवालिया घोषित करने का आवेदन :
हाल ही मिएँ अनिल अंबानी की निजी संपत्ति जब्त करने के नोतिवे से पहले भी एरिक्सन ने एक और नोटिस दिया था। इसमें उसने कोर्ट से रिलायंस कम्युनिकेशन को दिवालिया घोषित कर कर्ज लेने के लिए निवेदन किया था। इस पर अनिल अंबानी ने दिवालिया घोषित न करने का कोर्ट से निवेदन किया था और एरिक्सन के कर्ज चुकाने के लिए 60 दिनों का समय माँगा था। इसके अंतर्गत 60 दिन में अनिल अंबानी को एरिक्सन के 550 करोड़ रूपए चुकाने थे।
इस पर एरिक्सन और कोर्ट द्वारा मंजूरी मिल गयी थी। इतना कर्ज चुकाने के लिए अनिल अंबानी को अपनी परिसंपत्तियां जिओ को बेचनी थी जिससे इसको करीब 24,000 में बेचे जाने का प्रस्ताव था लेकिन इस सौदे को टेलिकॉम डिपार्टमेंट की तरफ से मंजूरी नहीं मिली थी क्योंकि रिलायंस पर 2000 करोड़ का कर्ज बाकी था। यह सौदा न होने के कारण अनिल अंबानी एरिक्सन का बकाया कर्ज भी नहीं चूका पाए और आखिरकार उन्हें रिलायंस को दिवालिया घोषित करना पड़ा।
एरिक्सन की अर्जी के बारे में पूरी जानकारी :
हाल ही में दायर की गयी याचिका में एरिक्सन ने कहा है की अनिल अंबानी, सेठ और वीरानी ने जानबूझकर कोर्ट के आदेशों की अवमानना की है। अतः उनकी निजी संपत्तियां जब्त की जानी चाहिए और इसके साथ साथ उन्हें यह देश के बाहर जाने से रोकना चाहिए।
इकनोमिक टाइम्स के मुताबिक रिलायंस कम्युनिकेशन ने अपने आप को दिवालिया घोषित करने का निर्णय मुख्या रूप से नकदी की कमी के चलते लिया है जिसके कारण यह लम्बे समय से अपने कर्जदारों कू कर्ज नहीं चूका पाई है। इसके चलते कंपनी के बोर्ड ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत एनसीएलटी के जरिए फास्ट-ट्रैक रेजोल्यूशन प्रोसेस में जाने का विकल्प चुना है।
इस सन्दर्भ में कंपनी ने बयान दिया “रिलायंस कम्युनिकेशंस के निदेशक मंडल ने एनसीएलटी के माध्यम से ऋण समाधान योजना लागू करने का निर्णय किया है। कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने शुक्रवार को कंपनी की कर्ज निपटान योजना की समीक्षा की। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने पाया कि 18 महीने गुजर जाने के बाद भी संपत्तियों को बेचने की योजनाओं से कर्जदाताओं को अब तक कुछ भी नहीं मिल पाया है।