विषय-सूचि
एरर डिटेक्शन का मतलब (error detection meaning in hindi)
एरर का मतलब है आउटपुट जानकारी का इनपुट जानकारी से मेल नहीं खाना।
यह एक प्रक्रिया होती है जब रिसीवर की जानकारी संदेश भेजने वाले की जानकारी से नहीं मिलती तब यह प्रक्रिया होती है।
ट्रंजमिशन के वक़्त जब भी कोई जानकारी भेजने वाले सेंडर से रीसीवर तक जाती है तब डिजिटल सिग्नल नोइस की दिक्कत से जूझता है जो की एरर को बाइनरि बिट्स में दिखाता है।
इसका मतलब यह है की 0 बिट 1 में बदल दिया जाएगा और 1 बिट 0 में बदल दिया जाएगा।
एरर डिटेक्शन कोड्स (error detecting code in hindi)
जब भी कोई संदेश ट्रांसमीट किया जाता है तब नोइस की वजह से काफी बार डाटा करप्ट हो जाता है।
इस तकलीफ से छुटकारा पाने के लिए हम एरर डिटेकशन कोड का इस्तेमाल करते हैं।
इस प्रक्रिया में यह संदेश के साथ एक डिजिटल डाटा को भेज देता है जिससे की वह अगर इस संदेश में कोई एरर हो तो उसे समझ पाये।
रेडनडेन्सी बिट की मदद से ही हम एरर डिटेकशन को आसानी से समझ सकते हैं क्योंकि इस प्रक्रिया में अतरिक्त बिट्स डाली जाती है जिससे की हम एरर को समझ पाएँ।
एरर करेकटिंग कोड्स (error correction code in hindi)
हम करप्ट मेसेज में से मिले हुए सही मेसेज को निकालने के लिए इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के कोड को हम एरर करेकटिंग कोड्स के नाम से जानते हैं।
यह करप्ट बिट की सही जगह बताने का भी काम करते हैं। इस प्रक्रिया में पेरिटी चेक हमारे लिए काफी उपयोगी होता है क्योंकि यह एरर करेकटिंग में काफी सहायक होता है।
जैसे ही हमें करप्ट बिट की जगह का पता लग जाता है वैसे ही यह वैल्यू को बदल कर हमें सही मेसेज समझा देता है।
एरर डिटेक्शन तकनीक (error detection technique in hindi)
कुछ लोकप्रिय तकनीक जो एरर डिटेकशन में इस्तेमाल होती हैं वह हैं:
- सिम्पल पेरिटी चेक (simple parity check)
- डाटा के ब्लॉक सोर्स से डाटा को बिट के हिसाब से देखते हैं।
- यदि इसमें 1 का ऑड़ नंबर है तो इसे 1 के ब्लॉक से जोड़ा जाता है।
- यदि इसमें 1 का ईवन नंबर होता है तो 0 को जोड़ा जाता है।
- टू डाइमेन्श्नल पेरिटी चेक (two dimensional parity check)
- पेरिटी चेक बिट्स हर रो के लिए कैलकुलेट किए जाते हैं जो की एक सामान्य पेरिटी चेक बिट में इस्तेमाल किए जाते हैं।
- कॉलम के लिए भी पेरिटी चेक बिट्स का इस्तेमाल किया जाता है।
- चेकसम (checksum)
- चेकसम एरर डिटेकशन के लिए डाटा को के (k) सेगमेंट में और म (m) बिट्स में डिवाइड करता है।
- चेकसम सेगमेंट को डाटा सेगमेंट के साथ साथ भेजा जाता है।
- यदि इसका अंत में परिणाम ज़ीरो होता है तभी रिसीव्ड डाटा को लिया जाता है वरना इसे हटा दिया जाता है।
- साइकलिक रिड़नडेन्सी चेक (cyclical redendency cheque)
- सीआरसी बाइनरि डिविजन की मदद से काम में लिया जाता है।
- सीआरसी में रिडंडेंसी बिट की कतार को हम साइकलिक रिड़नडेन्सी चेक बिट्स भी बोलते हैं।
- गंतव्य पर जो इनकमिंग डाटा होता है वह उसी नंबर में बाँटा जाता है।
- इस स्टेप में किसी भी प्रकार का रिमाइंडर नहीं होता तब डाटा यूनिट को सही किया जाता है उसके बाद ही वह भेजा जाता है।
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