हाल ही में सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया की बिक्री से सरकार को 7000 करोड़ रूपए तक मिलने की उम्मीद है।
एक सरकारी अधिकारी ने जानकारी दी की सरकार एयर इंडिया का विक्रय अगले वित्तीय सत्र 2019-20 की दूसरी छमाही में शुरू करेगी। इस समय के बीच में सरकार एयर इंडिया द्वारा स्वामिवत दूसरी कुछ परिसम्पतियों की बिक्री करेगी।
राष्ट्रीय वाहक ने पिछले साल सितंबर में भारत भर में स्थित अपनी संपत्तियों को बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं।
एयरलाइन ने मुंबई में 28 फ्लैट, अहमदाबाद में सात फ्लैट, और पुणे में दो फ्लैट और एक कार्यालय स्थान के अलावा देश भर में कई अन्य संपत्तियों की बिक्री के लिए रखा था।
मंत्री पैनल ने पहले ही एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग सहायक कंपनी, एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज की रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दे दी है। एक अन्य सहायक कंपनी, एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज को बेचने के लिए योजनाएँ बनाई गई हैं।
एयर इंडिया की बिक्री का कारण :
एयर इंडिया की इस बिक्री का कारण इस पर वर्तमान में कुल 55,000 करोड़ रूपए के ऋण को माना जाता है।
सरकार ने शुरू में राष्ट्रीय वाहक की 76% इक्विटी शेयर पूंजी को बेचने के साथ-साथ प्रबंधन नियंत्रण निजी खिलाड़ियों को देने की योजना बनाई थी। खरीदार को वाहक के 24,000 करोड़ रुपये के कर्ज के साथ-साथ 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारियों को लेना था।
हालांकि, 31 मई को बोली प्रक्रिया पूरी होने पर हिस्सेदारी की बिक्री किसी भी बोलीदाता को आकर्षित करने में विफल रही। अगस्त 2018 में, सरकार ने एक “टर्न अराउंड प्लान” के तहत एयर इंडिया में 980 करोड़ रुपये के इक्विटी इन्फ्यूजन के लिए संसद की मंजूरी प्राप्त की। इस महीने की शुरुआत में, संसद ने एयरलाइन में 2,345 करोड़ रुपये के इक्विटी इन्फ्यूजन को मंजूरी और दी है।
कर्ज चुकाने की की जा रही कोशिश :
सरकार ने अपना कर्ज भार कम करने के लिए एयर इंडिया की कुछ परिसम्पतियों को बेच दिया है। सहायक और भूमि और भवन संपत्ति की बिक्री से आय एसपीवी में जाएगी और इसका उपयोग एयरलाइन के ऋण को कम करने की दिशा में किया जाएगा।