केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने यह बात स्पष्ट कर दी है कि एयर इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने में टाटा समूह ने अभी तक कोई रूचि व्यक्त नहीं की है। हां, इस मामले में इंडिगो काफी उत्सुक दिखाई दे रहा है।
दरअसल शुक्रवार को टेलीविजन चैनल सीएनबीसी टीवी 18 से बातचीत के दौरान जयंत सिन्हा ने कहा था कि टाटा समूह ने एयर इंडिया को खरीदने में अपनी रूचि जताई है। लेकिन आज सिन्हा ने यह मामला साफ कर दिया है कि एयर इंडिया विनिवेश को लेकर टाटा समूह से अभी कोई आधिकारिक वार्ता नहीं हुई है। आप को बता दें कि सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश को मंजूरी दे दी है। एयर इंडिया पर 52,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है।
मंत्री जयंत सिन्हा ने एक टेलीविजन चैनल को बताया कि सरकार बोली लगाने की प्रक्रिया को निश्चित समय में पूरा करने की तैयारी में लगी हुई है। बोली लगाने की प्रक्रिया में छह से आठ महीने का समय लग सकता है।
टाइम्स आॅफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कर्ज में फंसी एयर इंडिया को खरीदने के लिए टाटा ग्रुप और इंडिगो के अलावा जेट एयरवेज और स्पाइसजेट भी बोली लगाने की दौड़ में शामिल हो सकते हैं। सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने ईटी को बताया कि एयर इंडिया के बिकते ही एयरलाइंस कारोबार में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
एयरलाइंस सेक्टर में एयर इंडिया की भागीदारी
आपको जानकारी के लिए बता दें कि घरेलू मार्केट में 14 फीसदी तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में 17-18 फीसदी की हिस्सादारी रखने वाली एयरइंडिया नीलामी करने वाली एयरलाइंस के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। ऐसे में अन्य एयरलाइंस के रूप में जेट एयरवेज और संभवत: स्पाइसजेट के पास इस नीलामी में शामिल होने को सिवाय और कोई विकल्प नहीं दिखाई देता।
स्पाइसजेट के एक अधिकारी ने बताया कि एयर इंडिया के सामने स्पाइसजेट काफी छोटी एयरलाइंस है, फिर भी नीलामी की शर्तों को जानने के बाद ही इस मामले में कुछ निर्णय लिया जाएगा।
गौरतलब है कि जेट एयरवेज ने बुधवार को एयर फ्रांस, केएलएम और डेल्टा के साथ एक बड़ी पार्टनरशिप की घोषणा की है, ऐसे में जेट एयरवेज द्वारा एयर इंडिया को कब्जे में लेने की संभावना दिख रही है। यही नहीं अबूधाबी की एयरलाइंस एतिहाद की जेट एयरवेज में 24 फीसदी की हिस्सेदारी है।
इंडिगो और टाटा ग्रुप ने दिखाई रूचि
अभी जुलाई महीने में इंडिगो ने एयर इंडिया की सहायक एयर इंडिया एक्सप्रेस को खरीदने में अपनी इच्छा व्यक्त की थी। वहीं एक कॉन्फ्रेंस के दौरान इंडिगो प्रबंधन ने कहा था कि वो कर्ज में फंसी एयर इंडिया को पूरी तरह से खरीदने में सक्षम नहीं है, एयर इंडिया की सभी सहायक कंपनियों को हैंडओवर करना एक अंसभव कार्य है।
आप को बता दें कि मौजूदा समय में टाटा ग्रुप दो एयरलाइंस एयर एशिया इंडिया (मलेशिया एयर एशिया के साथ एक संयुक्त उद्यम) और विस्तारा (सिंगापुर एयरलाइंस के साथ संयुक्त उद्यम) का संचालन करता है।
विनिवेश प्रक्रिया
कर्ज में डूबी एयर इंडिया को उबारने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 जून को विनिवेश के लिए सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति दी थी। दरअसल एयर इंडिया पिछले 10 सालों से घाटे का सौदा साबित हो रही है। आपको बता दें कि एयर इंडिया 52,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में फंसी हुई है। जिसमें लगभग 28,000 करोड़ रूपए पूंजी ऋण तथा 4,000 करोड़ रुपए ब्याज के रूप में शामिल है।